कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। बिहार में दो लाख देकर ठगी का शिकार हुए फर्जी आईपीएस मिथिलेश कुमार अपने करियर के लिए अब नया सपना देख रहे हैं। मिथिलेश का कहना है कि अब वो पुलिस वाला नहीं बल्कि डॉक्टर बनना चाहते हैं। उनसे जब डॉक्टर बनने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि वो डॉक्टर बनकर लोगों को बचाना चाहते हैं। दरअसल मीडिया से बातचीत के दौरान मिथिलेश से पूछा गया कि वो 10 वीं पास हैं और आईपीएस अधिकारी बन चुके हैं। इसके बाद वो क्या बनना चाहते हैं। इस पर मिथिलेश ने कहा, उ सब नहीं बनना है, हां डॉक्टर बनना है। जिस पर इंटरव्यू लेने वाले ने पूछा कि आप आईपीएस से डॉक्टर पर आ गए, डॉक्टर बनकर क्या करिएगा। इस पर मिथिलेश का कहना था कि सबको बचाएंगे और सेवा करेंगे।
IPS की ड्रेस में पुलिस ने किया था गिरफ्तार
बता दें कि मिथिलेश कुमार बिहार के लखीसराय के हलसी थाना क्षेत्र के गोवर्धन बीघा गांव का रहने वाला है। उसको आईपीएस की ड्रेस पहनकर घूमने पर गिरफ्तार कर लिया गया था। मिथिलेश ने पुलिस को बताया कि खैरा इलाके के मनोज सिंह ने उसे 2 लाख 30 हजार रूपये के बदले में पुलिस में नौकरी लगवाने का ऑफर दिया था। जिस पर उसने अपने मामा से दो लाख रुपये लेकर मनोज को दिए थे ताकि उसकी पुलिस में नौकरी लग जाए।
पुलिस ने मनोज और मिथिलेश को बताया आरोपी
पुलिस का कहना है कि इस मामले में सिकंदरा थाना के SI मोजम्मिल अंसारी के लिखित आवेदन के आधार पर मिथिलेश कुमार और मनोज सिंह को आरोपी बनाया गया है। मिथिलेश से बातचीत में उसने बताया कि मनोज सिंह ने उसे खैरा चौक पर वर्दी, लाइटर पिस्तौल और एक बैग दिया। इसके साथ ही मनोज ने उससे कहा कि अब उसकी आईपीएस में नौकरी लग गई है और अपनी वर्दी पहनकर हलसी थाना में सर्विस शुरू कर दे। जिसके बाद मिथिलेश वर्दी पहनकर, कमर पर लाइटर पिस्तौल लगाकर बाइक से हलसी थाना जा रहा था। जहां पर रास्ते में ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
क्या बोले डीएसपी
जमुई के डीएसपी सतीश सुमन का कहना है कि सात साल से कम सजा वाले मामले में गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है। इसी के तहत फर्जी आईपीएस मामले में मिथिलेश कुमार से बॉन्ड भरवा कर उसे छोड़ दिया गया। हालांकि पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। इसके साथ ही जो भी लोग इस मामले में दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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