कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Bihar Bridge Collapse: बिहार में अंडर कंस्ट्रक्शन यानी कि निर्माणाधीन सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के सुपरस्ट्रक्चर का एक हिस्सा टूटकर गंगा नदी में गिर गया। हालांकि नौ साल से बन रहे इस पुल से जुड़ी ताजा घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन पुल के विभिन्न हिस्सों के बार-बार ढहने से निर्माण की गुणवत्ता और प्रोजेक्ट के संरेखण पर गंभीर सवाल उठते हैं। सुल्तानगंज-अगुवानी घाट सड़क पुल के इस ताजा ढहने से चिंताएं बढ़ गई हैं, खासकर तब जब प्रोजेक्ट के लिए जिम्मेदार निर्माण कंपनी एसके सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने अभी तक घटना के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। कंस्ट्रक्शन साइट पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने इस ढहने की घटना को कैमरे में कैद कर लिया और ये वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तेजी से शेयर किए गए। वहीं इस घटना को लेकर लोगों का कहना है कि इतना तो झुमका भी नहीं गिरा होगा बरेली के बाजार में जितना बिहार में पुल गिरते हैं।
हालांकि, बार-बार ढहने की घटनाएं
सुपरस्ट्रक्चर भी नदी में गिर गया था
भागलपुर की तरफ पुल का एक और हिस्सा 30 जून, 2022 को ढह गया था, जब पिलर नंबर 5 और 6 के बीच का सुपरस्ट्रक्चर गंगा नदी में गिर गया था। शनिवार को सबसे हालिया ढहने की घटना में लोहे के एंगल से बना सुपरस्ट्रक्चर भी नदी में गिर गया था। विशेषज्ञों ने इन बार-बार होने वाली विफलताओं के लिए मिसअलाइनमेंट प्वाइंट्स को संभावित कारण बताया है। 3.16 किलोमीटर लंबे पुल की आधारशिला 23 फरवरी, 2014 को रखी गई थी, जिसका निर्माण 9 मार्च, 2015 को शुरू हुआ था। बिहार सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 1,710 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो एक प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर पहल के रूप में इसके महत्व को दर्शाता है। इसके बावजूद, लगभग नौ साल के निर्माण के बाद भी पुल अधूरा है।
सड़क बनाने में कामयाबी हासिल की
बिहार सरकार के सड़क निर्माण विभाग ने खगड़िया की ओर से 16 किलोमीटर और भागलपुर की ओर से 4 किलोमीटर की पहुंच सड़क बनाने में कामयाबी हासिल की है, लेकिन पुल का मुख्य ढांचा अभी भी अधूरा है। इस लंबी देरी और बार-बार संरचनात्मक विफलताओं ने प्रोजेक्ट के निष्पादन और एसके सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए काम की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। स्थिति की तत्काल समीक्षा और सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पुल, एक बार पूरा हो जाने के बाद, सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय हो।
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