फिल्म: भूत द हांटेड शिप पार्ट वन
कलाकार : विक्की कौशल, आशुतोष राणा
निर्देशक : भानू प्रताप सिंह
क्या है कहानी: सबसे पहले तो एकदम स्पष्ट कर दें कि इस फिल्म का रामगोपाल वर्मा वाली भूत की कहानी से दूर दूर तक लेना देना नहीं है। मेकर्स ने एक वास्तविक घटना को फिक्शनल कहानी में बदला है।कुछ सालों पहले मुंबई के जुहू बीच पर आकर एक विशाल शिप रुक गई थी। उस शिप पर एक भी आदमी नहीं था। आजतक का बात का पता नहीं लगाया जा सका कि आखिर वह शिप कहां से आई थी। फिल्म के निर्देशक भानू ने प्लॉट यहीं से लिया है। लेकिन कहानी खुद गढ़ी है। कहानी पृथ्वी, जो कि एक शिपिंग ऑफिसर है, उसके साथ शुरू होती है। वह अपना परिवार एक हादसे में खो चुका है। पृथ्वी इसका जिम्मेदार खुद को मानता है और इस चक्कर में वह ऐसे कई कदम उठाता है जो उसे इस गिल्ट से बाहर कर सके। वह उसी डिप्रेशन में रहता है। लेकिन अपना काम वह परफेक्ट तरीके से करता है। उसे जुहू बीच से शिप को हटाने की जिम्मेदारी दी जाती है। किस तरह पृथ्वी वहां पहुंचता है और एक राज उसके सामने खुलता है। शिप पर कई घटनाएं घटती हैं और किस तरह पृथ्वी उससे डील करता है। फिल्म में क्लाइमेक्स तक एक सीक्रेट है, जो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा। कहानी आपको राज के साथ साथ तलाश भी याद क्यों दिलाएगी। यह भी आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा।
क्या है अच्छा : कहानी में इफेक्ट के माध्यम से हॉरर इफेक्ट अच्छे तरीके से क्रियेट किया गया है। विक्की ने अच्छा अभिनय भी किया है। कहानी का ब्लीड अप अच्छा है। कहानी पहले भाग में तक काफी एंटरटेन भी करती है। बैकग्राउंड स्कोर और इफेक्ट्स मिल कर अच्छा विजुअल्स सामने रखते हैं। हालांकि भानू की पहली फिल्म है। प्लॉट और कहानी की तुलना ना हो तो ट्रीटमेंट के लिहाज से उनकी मेहनत दिखती है। पहली फिल्म में ही उन्होंने अच्छा काम किया है। आगे उनमें गुंजाइश दिखती है।
क्या है बुरा : चूंकि कहानी एक ही शिप के इर्द गिर्द है तो एक्टर के लिए भी अभिनय के हुनर को दिखाने के मौके कम मिले हैं। उनके लिए स्कोप काफी कम हो गए है। इन दिनों हॉरर फिल्मों में विदेशी फिल्मों का इस कदर एक्सपोजर मिल चुका है कि दर्शक हिंदी फिल्मों से जाहिर है कुछ एक्स्ट्रा आर्डिनरी कहानी की डिमांड करेंगे। लेकिन वह यहां पूरी तरह से मिसिंग हैं। सेकेंड हाफ में कहानी हाफने लगती है। किसी भी हॉरर फिल्म में अगर पिछली फिल्मों का हैंगओवर दिखे तो यह निर्देशक की विफलता दिखने लगती है। लेकिन फिल्म देख कर थर्रा जाएं ऐसे सिचुएशन नहीं आते। ट्रीटमेंट में बॉलीवुड फंडा अपनाना क्यों जरूरी होता है यह तो निर्देशक ही बता सकते हैं। फिल्म ठीक ठाक बनी है। लेकिन कहानी रोंगटे तो खड़ी नहीं करती।
अदाकारी : विक्की कौशल नि: संदेह बेहतरीन कलाकार हैं और उन्होंने यहां कम स्कोप होने के बावजूद उम्दा अभिनय किया है, इमोशल सीन्स और एक्शन दृश्यों में उन्होंने अच्छा बैलेंस बनाया है। उन्होंने आशुतोष राणा अब फिल्मों में घिसे पिटे किरदारों में आने लगे हैं। उनके पास करने को अधिक कुछ बचा नहीं है।
वर्डिक्ट : विक्की कौशल की अच्छी फैन फॉलोइंग होने के बावजूद फिल्म कमजोर है। सो फिल्म का बहुत सफल हो पाना मुश्किल है। फिल्म औसत ही रहेगी।
बॉक्स ऑफिस: 25 करोड़
रेटिंग: 2.5 स्टार
Reviewd By : Anu
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