नई दिल्ली (पीटीआई)। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 28 और 29 मार्च को सरकार की नीतियों के विरोध में पूरे देश में हड़ताल की घोषणा की थी। आज हड़ताल का दूसरा दिन है, जिसके समर्थन में बैंक के कुछ कर्मचारी भी शामिल हो गए। स्ट्राइक की वजह से कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं आए जिससे कई पब्लिक सेक्टर के बैंकों में लेनदेन प्रभावित हुआ। इसके अलावा चेक लेने में देरी हुई और हड़ताल के कारण सरकारी खजाने का संचालन भी प्रभावित हुआ।
हड़ताल में बैंकों ने नहीं किया काम
इंडिया बैंक एसोसिएशन के सेक्रेटरी सीएच वेंकटचलम ने कहा कि हड़ताल के समय चेन्नई के दक्षिणी ग्रिड में इन दो दिनों में 5,000 करोड़ रुपये के लगभग 6 लाख रुपए के चेक नहीं भेजे जा सके क्योंकि हड़ताल के कारण ब्रांच काम नहीं कर रही थीं। उन्होंने दावा किया कि नेशनल लेवल पर 18,000 करोड़ रुपये के करीब 20 लाख चेक क्लेम नहीं किए जा सके। बैंकिंग यूनियन सरकार के द्वारा 2021-22 के बजट में घोषित किए गए दो पब्लिक सेक्टर के निजीकरण करने की नीति के विरोध में हड़ताल कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार ब्याज दर में वृद्धि और सेवा शुल्क में कम करें।
एआईबीईए भी हुई हड़ताल में शामिल
एआईबीईए के अलावा बीईएफआई और एआईबीओए भी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की दो दिन की हड़ताल मे शामिल हैं। जो सरकार की जनविरोधी आर्थिक नीतियां और मजदूर विरोधी श्रम नीतियां के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा मनरेगा के तहत मजदूरी का बढ़ा हुआ आवंटन और ठेका श्रमिकों का नियमितीकरण भी उनकी मांगों का हिस्सा है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के साथ ज्यादातर बैंकों ने अपने ग्राहकों को हड़ताल से होने वाले असर के बारे में पहले ही बता दिया था।
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