नई दिल्ली (एएनआई)। सरकारी नीतियों के विरोध में विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने 28 और 29 मार्च को देशभर में हड़ताल करने का ऐलान किया था। दो दिन के इस विरोध के कारण कई राज्यों को बंद कर दिया गया है। विधानसभा चुनाव में पांच में से चार राज्यों में जीतने के बाद बीजेपी के कार्यकाल में यह पहली हड़ताल है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन पर कम ब्याज दर, ईंधन की बढ़ती कीमतें इस हड़ताल के कुछ कारण हैं।
इमरजेंसी सर्विस को हड़ताल से बाहर
केरल के केरला स्टेट रोड़ ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (KSRTC) ने सारी सेवाएं बंद कर दी हैं, जिसके चलते सड़के सुनसान नजर आई और केवल कुछ ही निजी वाहन दिखाई दिए। पुलिस ने लोगों की मदद के लिए रेलवे स्टेशन, अस्पताल आदि जैसी जगह जाने के लिए कुछ यात्रा की सुविधा प्रदान की है और इमरजेंसी सर्विस को हड़ताल से बाहर रखा गया है। केरल के हाई कोर्ट ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) की पांच यूनियन्स को हड़ताल में भाग लेने से रोक दिया है। पश्चिम बंगाल में भी ट्रेड यूनियन हड़ताल में शामिल हो रहा है, लेकिन राज्य सरकार ने सभी कार्यालयों को खुले रहने और कर्मचारियों को ड्यूटी पर आने के लिए कहा है। विभिन्न ट्रेड यूनियन की हड़ताल को देखते हुए वाम मोर्चा के सदस्य कोलकाता के जादवपुर रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या में एकत्र हो गए और रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के अलावा लगभग सभी ट्रेड यूनियन हड़ताल में भाग ले रहे हैं।
सांसदों ने सस्पेंड किया नोटिस
संसद में सांसद बिकाशरंजन भट्टाचार्य ने दो दिन की हड़ताल पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत राज्यसभा में कार्य स्थगित करने का प्रस्ताव पेश किया है। इसी तरह सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने नियम 267 के तहत केंद्र सरकार की कॉरपोरेशन और निजीकरण पॉलिसी के विरोध राज्यसभा में बिजनेस नोटिस को सस्पेंड कर दिया।
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