कहानी
कहानी बस यूं समझ लीजिए कि ये फिल्म 'कमीने' और 'हरे रामा हरे कृष्णा' के मिक्सचर का माजीद मजीदी संस्करण है।
समीक्षा
किंगडम ऑफ हेवेन से मिलते जुलते प्लाट को बेस कैनवास मान लीजिए और उसपर बॉलीवुड के रंगों से अगर कोई पेंटिंग बनाई जाएगी तो बियॉन्ड द क्लाउड्स बनेगी। कोशिश बुरी नहीं है पर माजिद जी शायद ये भूल गए कि जहां वाटर कलर की जरूरत हो वहां आयल पेंट नहीं करते, पेंटिंग तो बिगड़ती ही है, कैनवास भी खराब हो जाता है और भारत में फिल्म रूपी कैनवास बड़ा महंगा है। फिल्म की एंटरटेनमेंट वैल्यू यहां अच्छी फिल्म का सबसे बड़ा पैमाना है। यूं तो इस फिल्म में हर मसाला मौजूद है पर फिर भी फिल्म मनोरंजक नहीं लगती। दो नावों की सवारी के चक्कर मे न तो मजीदी अपने ओरिजनल फिल्ममेकिंग स्टाइल से ही न्याय कर पाते हैं और न तो बॉलीवुड को ही आईना दिखा पाते हैं।
क्या है खास
ऐसा नहीं है कि फिल्म बुरी है। अपनी मेसेजिंग थींम से फिल्म भरपूर न्याय करती है। फिल्म का आर्ट डायरेक्शन, कॉस्ट्यूम और अनिल मेहता की सिनेमाटोग्राफी फिल्म को देखने लायक बनाती है। इस फिल्म की एडिटिंग भी काफी अच्छी है और फिल्म को क्रिस्प बनाती है। फिल्म का संगीत काफी अच्छा है और फिल्म के साथ न्याय करता है, इनफैक्ट संगीत इस फिल्म का एक किरदार है।
अदाकारी
ईशान खट्टर बेहद टैलेंटेड एक्टर हैं और वो काफी आगे जाएंगे। इस फिल्म को हम ईशान की शोरील भी कह सकते हैं। फिल्म की बाकी कास्टिंग एक दम परफेक्ट है। कास्टिंग टीम को बधाई।
वर्डिक्ट
माजिद की इस फिल्म से माजिद का जादुई टच मिसिंग है। मुम्बई की स्लम लाइफ काफी स्टीरियोटाइप तरीके से दिखाई गई है। किसी फ्रेम में आपको सलाम बॉम्बे की मीरा नायर का काम नजर आएगा और किसी फ्रेम में लगेगा कि डैनी बॉईल की स्लमडॉग मिलिनियर देख रहे हैं। पर माजिद साहब, ये सब तो हमने पहले ही देख रखा है। हम तो माजिद मजीदी स्कूल ऑफ फिल्ममेकिंग का शाहकार देखने के लिए आये थे। अगर आप ये फिल्म देखेंगे तो आप ठगे हुए मेहसूस नहीं करेंगे पर आपको ये शिकायत जरूर होगी कि कहीं कुछ कमी रह गई, इसका कारण है भानुमति के पिटारे की तरह लिखा हुआ स्क्रीनप्ले। फिर भी आपको ये फिल्म मैं देखने की सलाह दूंगा
रेटिंग : 3.5 स्टार
Yohaann Bhaargava
Twitter : yohaannn
Movie Review : स्टीवन स्पीलबर्ग की 'रेडी प्लेयर वन' देखने की 7 वजहें
Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk