बचपन मुश्िकलों में
जी हां आज पश्िचम बंगाल में फिल्म टेररिज्म की काफी तारीफ हो रही है। यह फिल्म अब तक अच्छी-खासी कमाई कर चुकी है। फिल्म में बेहतर अभिनय करने वाले रिजवान आज वहां पर एक स्टार के रूप में लिए जा रहे हैं। एक्टर रिजवान के बारे में कम ही लोगों को पता है कि इन्होंने हीरो बनने से पहले कितना संघर्ष किया है। पश्चिम बंगाल के खड़गपुर से सटे एक गांव में रहने वाले रिजवान का बचपन काफी मुश्िकलों में बीता है। सात भाई-बहन वाले रिजवान को बचपन में ही पढाई छोड़ चाय की दुकान में काम करना पड़ा था।

हीरो बनने से पहले सऊदी अरब में ऊंट चराए,इंडिया में रिक्‍शा चलाया

बचकर भारत आए
इसके बाद वह खलासी का सीख कर कोलकाता चले गए। कोलकाता में अपनी लगन के मुताबिक इन्होंने ड्राइवरी सीखी। हालांकि पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते इन्हें वापस गांव जाना पड़ा। यहां पर इन्होंने रिक्शा चलाया। इस दौरान लगातार इन्हें परिवार की जरूरतों के लिए पैसों की जरूरत थी। जिसके चलते इनकी मजबूरियों का फायदा भी उठाया गया। कुछ लोगों ने सऊदी अरब भेज दिया। वहां पर इन्हें ऊंट चराने का काम मिला। वहां से बाहर निकलने के लिए रिजवान ने पुलिस की मदद ली। किसी तरह वह भारत आए। इसके बाद फिर वापस एक बार कोलकाता में ड्राइवर के रूप में काम करने लगे।

हीरो बनने से पहले सऊदी अरब में ऊंट चराए,इंडिया में रिक्‍शा चलाया

हीरो बन गए
यहां पर इनकी मुलाकात फिल्म निर्माता संबरीश मजूमदार हो गई। यहां से उनकी किस्मत पलट गई। संबरीश रिज़वान की प्रतिभा से काफी प्रभावित हुए और उन्हें अपनी फिल्म से हीरो बनाने की ठानी। रिजवान ने फिल्म में काफी अच्छा काम किया। इसी फिल्म से रिजवान को पूरा बदलकर रख दिया। आज रिजवान और उनका परिवार बेहद खुश है। रिजवान का कहना है कि बुरे हालातों का सामना करने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। शायद आज उसी का परिणाम है कि आज किस्मत बदल गई है। अब वह बॉलीवुड की ओर अपने कदम बढाना चाहते हैं।

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