रिसर्च में बताया गया है कि फीमेल एचआर को सुन्दर लड़कियों से जलन हो जाती है. उन्हे डर रहता है कि कहीं नई आई सुन्दर लड़की उनकी जगह न ले ले. सिर्फ यही नहीं फीमेल एचआर तो अट्रैक्टिव न दिखने वाले मेल्स को भी नौकरी पर नहीं रखतीं. इसका मतलब यह हुआ कि नौकरी देते वक्त एचआर दोहरे मापदंड अपनाती हैं.
रिसर्च में यह भी सजेस्ट किया गया है कि सुन्दर लड़कियों को फीमेल एचआर के पास रिज्यूमे भेजते वक्त अपनी पिक्चर अटैच नहीं करनी चाहिये. रिसर्च में यह आकड़ा मिला है कि अट्रैक्टिव पिक्चर वाले अप्लीकेशन्स को नार्मल या बिना तस्वीर वाली एप्लीकेशन्स के मुकाबले केवल चौथाई रिस्पांस ही मिलता है.
'द टेलीग्राफ' की मानें तो इसकी वजह यह है कि एचआर का काम ज्यादातर 20 साल के आसपास की लड़कियां ही संभालती हैं और अननोइंगली वे यह नहीं चाहती हैं कि आफिस में सुन्दरता के मायने में कोई उन्हे कम्पटीशन दे.
रिसर्च करने वाले ब्रैडली रफेल ने जाब के 2,500 एजवरटीजमेंट्स के लिए 5,000 से ज्यादा एप्लीकेशन्स भेजीं. हर दो में से एक एप्लीकेशन में कोई इमेज अटैच नहीं थी जबकि दूसरे पर अट्रैक्टिव लड़के लड़कियों या नार्मल लड़के लड़कियों की फोटो लगी हुई थी.
रफेल ने पाया कि अट्रैक्टिव दिखने वाली गर्लस् की तुलना में नार्मल दिखने वाली या बिना पिक्चर के आवेदन देने वाली गर्लस् को हाई पोस्ट्स पर इण्टरव्यू के लिए बुलाया गया.
फोटो लगाने वाली गर्लस की तुलना में फोटो न लगाने वाली 20 प्रतिशत ज्यादा गर्लस को इण्टरव्यू के लिए बुलाया गया. इसी तरह अट्रैक्टिव दिखने वाली गर्लस की तुलना में नार्मल दिखने वाली 30 प्रतिशत ज्यादा गर्लस को इण्टरव्यू के लिए बुलाया गया.
रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि 96 प्रतिशत कम्पनियों में फीमेल एचआर है और वे अनमैरीड हैं व उनकी उम्र 20 साल के आसपास है.
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