नई दिल्ली (पीटीआई)। अगर केंद्र सरकार 2023 के वनडे विश्व कप से आईसीसी के प्रसारण राजस्व पर 21.84 प्रतिशत कर अधिभार लगाने के अपने फैसले पर कायम रहती है तो बीसीसीआई को करीब 955 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। भारत को अगले साल अक्टूबर-नवंबर में 50 ओवर के वर्ल्डकप की मेजबानी करनी है। आईसीसी के मानदंड के अनुसार, मेजबान देश को वैश्विक निकाय द्वारा आयोजित टूर्नामेंटों की मेजबानी के लिए सरकार से कर छूट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
जल्द निकालना होगा हल
चूंकि भारत के कर नियम इस तरह की छूट की अनुमति नहीं देते हैं, बीसीसीआई को पहले ही 193 करोड़ रुपये (23.5 मिलियन अमरीकी डालर) का नुकसान हो चुका है क्योंकि सरकार ने 2016 आईसीसी टी 20 विश्व कप की मेजबानी के लिए कर अधिभार में छूट नहीं दी थी। BCCI अभी भी उस केस को ICC ट्रिब्यूनल में लड़ रही है। मुंबई में बोर्ड की 18 अक्टूबर की एजीएम से पहले राज्य इकाइयों के बीच परिचालित रिपोर्ट में कहा गया है, "अगला ICC वर्ल्डकप भारत में अक्टूबर और नवंबर के महीने में 2023 में आयोजित होने वाला है। BCCI ICC को कर छूट या कर समाधान देने के लिए अप्रैल 2022 तक बाध्य था। बाद में इस समय सीमा को ICC बोर्ड द्वारा 31 मई 2022 तक बढ़ा दिया गया था। मगर अभी तक छूट नहीं मिल सकी है।'
घाटा होना तय
बीसीसीआई ने अगर कर में छूट नहीं दिलवाई तो बोर्ड को बड़ा नुकसान होगा। समझा जाता है कि बीसीसीआई अभी भी बातचीत कर रहा है और कर अधिभार प्रतिशत को 21.84 की मौजूदा मांग से घटाकर 10.92 प्रतिशत करने की कोशिश कर रहा है। अगर बीसीसीआई टैक्स सरचार्ज को घटाकर 10.92 फीसदी कर देता है, तो राजस्व घाटा करीब 430 करोड़ रुपये (यूएसडी 52.23 मिलियन) होगा, नहीं तो 955 करोड़ रुपये का घाटा होना तय है।
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