कहानी :
बिजली कंपनी की आम व्यापारी पे ज्यादती पे लडे गए एक मुकदमे का सुपरफिल्मी रूपांतरण।
समीक्षा :
कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जिनको बनाने की नीयत तो ठीक होती है पर फिल्म के पर्दे तक आते आते वो रेगुलर फिल्मी मसाला बन के रह जाती हैं। यहां बत्ती इसलिए गुल है क्योंकि फिल्म की ग्रिड फेल है। इस फिल्म के विलन हैं इस फिल्म के राइटर, सिद्धार्थ और गरिमा जिन्होंने इस फिल्म को विपुल रावल के कॉन्सेप्ट पे लिखा है। कौन कहेगा कि इन्ही सिद्धार्थ ऑर गरिमा ने कभी गोलियों की रासलीला-रामलीला लिखी थी। कॉन्सेप्ट तो ठीक है पर लाउड स्क्रीनप्ले और बेहद घटिया डायलॉग आपके दिमाग की बत्ती गुल कर देते हैं। 'ठहरा' और 'बल' इन दो शब्दों को सुनते ही कान से खून रिसने लगता है। डाईलेक्ट की ऐसी तैसी करने में राइटर्स ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। अधकचरी लवस्टोरी और जरूरत से ज़्यादा झन्नाटेदार कोर्टरूम सीन फिल्म का दूसरा बड़ा माइनस पॉइंट है। डायरेक्शन बहुत ही साधारण है और बैकग्राउंड म्यूजिक जरूरत से ज्यादा लाउड।
अदाकारी :
अब जब फिल्म लिखी ही बुरी है तो सारा का सारा दारोमदार आ जाता है एक्टर्स पे। शाहिद पूरी कोशिश करते हैं कि अपने पूरे टैलेंट को यूज करके फिल्म को बचा लें, कोशिश के लिए फुल मार्क्स। यामी के हाथों फिल्म के कुछ अच्छे सीन आते हैं और वो भी अपना काम ठीक से करती हैं। श्रद्धा कपूर को सिरियस होकर एक्टिंग सीखने की सख्त जरूरत है। दिव्येन्दु ठीक ठाक हैं।
Meter Reading of #BattiGulMeterChaluTrailer: Cannot wait😍@shahidkapoor @ShraddhaKapoor @yamigautam @TSeries @ShreeNSingh @bgmcfilm @KuttiKalam @divyennduhttps://t.co/iz6HwXlruL
— INOX Leisure Ltd. (@INOXMovies) August 10, 2018
कुल मिलाकर ये एक बेहद औसत फिल्म है। कहानी को ओवर द्रमाटाइज करने के चक्कर मेँ एक अच्छी खासी सोशल फिल्म की ऐसी तैसी राइटिंग और डायरेक्शन दोनों ही लेवल पर की गई है। फिर भी अगर शाहिद या यामी के फैन हैं तो चले जाइये यह फिल्म देखने।
रेटिंग : 1.5 STAR
Review by : Yohaann Bhaargava
Twitter : yohaannn
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