विपक्ष की मांग है कि देश में चल रहे गृह युद्ध के राजनीतिक समाधान के लिए असद को पहले अपना पद छोड़ देना चाहिए.
यह चुनाव राष्ट्रपति असद सरकार द्वारा कराया जा रहा है और तीन जून को मतदान होगा.
सोमवार को असद ने औपचारिक रूप से सीरिया की संवैधानिक अदालत में अपना नामांकन भरा.
उनके पश्चिमी और अरब के विरोधियों ने यह कहते हुए चुनाव कराए जाने को पहले ही ख़ारिज कर दिया है कि सीरिया में गृह युद्ध के बीच यह चुनाव महज लोकतंत्र का स्वांग होगा.
दशकों बाद पहली बार सीरिया में एक से अधिक उम्मीदवारों वाले राष्ट्रपति चुनाव में असद नामांकन करने वाले सातवें उम्मीदवार हैं.
लेकिन लगता है कि कोई भी प्रतिद्वंद्वी उन्हें और उनके परिवार के 44 वर्षों के शासन को गंभीर चुनौती देने की स्थिति में नहीं है
सरकारी मीडिया के अनुसार, असद की घोषणा और उनकी सेना द्वारा हालिया सफ़लताओं का जश्न मनाने के लिए लोग सड़कों पर इकट्ठा हो गए.
निर्वासित विपक्ष
सीरिया के निर्वासित विपक्षी नेताओं को संवैधानिक नियमों के तहत चुनाव में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
विपक्ष ने चुनाव को पहेली बताते हुए इसे ख़ारिज कर दिया है.
निर्वासन में चल रहे सीरिया के मुख्य विपक्षी समूह राष्ट्रीय गठबंधन ने कहा है कि एक और कार्यकाल हासिल करने का असद का अड़ियलपन दिखाता है कि वो वर्तमान संकट के समाधान के प्रति इच्छुक नहीं हैं.
गठबंधन की राजनीतिक समिति के सदस्य हादी अल बहर ने कहा, ''शुरू से ही यह सरकार अवैध है और इसलिए इसकी यह कार्यवाही भी अवैध है. ''
अरब आंदोलन से प्रभावित होकर असद सरकार के ख़िलाफ़ मार्च 2011 में जब सीरिया में व्यापक विरोध प्रदर्शन फूटे, तब से लेकर अबतक 1,50,000 लोग मारे जा चुके हैं.
विरोध को दबाने के लिए बड़े पैमाने पर बल प्रयोग के बाद विद्रोहियों ने हथियारबंद लड़ाई शुरू कर दी.
विद्रोहियों ने कई इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया, लेकिन असद की सेना ने फिर से दमिश्म और मध्य सीरिया पर अपनी पकड़ मजबूत बना ली है.
बहिष्कार
सीरियाई इस्लामिक काउंसिल ने इन चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है.
काउंसिल ने 25 अप्रैल को एक बयान जारी कर कहा कि 20 अप्रैल को बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में विचार किया गया और इन परिस्थितियों में शरियत के अनुसार चुनाव में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला किया गया है.
काउंसिल ने कहा है कि चुनाव में जो भी हिस्सा ले रहे हैं उन्हें असद सरकार के दमन, अन्याय, अपराध और अक्रामकता का भागीदार समझा जाएगा.
''और उनके हिस्सेदारी को एक बड़ा पाप समझा जाएगा क्योंकि यह असद सरकार के आपराधिक कृत्यों को ढंकता है.''
काउंसिल ने अपने बयान में असद को गैरक़ानूनी राष्ट्रपति और तानाशाह कहा.
सीरियाई इस्लामिक काउंसिल का गठन 12 अप्रैल को तुर्की के इस्तांबुल में किया गया था. इसके 40 सदस्यों में विपक्ष से जुड़े इस्लामी आयोग, लीग और धार्मिक विद्वान शामिल हैं.
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