कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Basant Panchami 2023 : बसंत पंचमी का पर्व हिंदू महीने "माघ" के पांचवें दिन मनाया जाता है। इस दिन सरस्वती पूजा की वजह से इसे श्री पंचमी भी कहा जाता है। बसंत पंचमी को देवी सरस्वती का जन्म होने से इसे 'सरस्वती जयंती' के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष बसंत पंचमी पर्व 26 जनवरी, गुरुवार को मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी को पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इसका सूफी मुसलमानों के लिए भी बहुत महत्व है।

अलग-अलग तरीकों से बसंत पंचमी
कुछ सूफी परंपराओं के अनुसार, 13 वीं शताब्दी ईस्वी में सूफी कवि अमीर खुसरो ने वसंत पंचमी पर पीले फूल ले जाने वाली हिंदू महिलाओं को देखा। इसके बाद उन्होंने सूफियों के बीच इस प्रथा की शुरुआत की। वहीं पंजाब इस दिन सिख त्योहार के रूप में पतंगों के बसंत महोत्सव की मेजबानी करता है। यूपी राजस्थान में भव्य रूप से सरस्वती पूजा होती है। बिहार में यह दिन फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

प्रसाद रूप में पीली मिठाई बांटी जाती
प्राचीन हिंदू शास्त्रों में, यह त्योहार श्रृंगार रस से जुड़ा हुआ है जिसमें कामदेव, प्रेम और इच्छा के देवता, उनकी पत्नी रति और उनके दोस्त बसंत शामिल हैं। आमतौर पर लोग इस दिन पीला रंग पहनते हैं क्योंकि यह रंग बसंत और सरस्वती से जुड़ा है। प्रसाद के रूप में पीली मिठाई बांटी जाती है।

शैक्षणिक संस्थानों में देवी की पूजा होती
बसंत पंचमी सरस्वती पूजा के रूप में बेहद लोकप्रिय है। इस दिन पहली बार शिक्षा ग्रहण करने वाले शिक्षार्थियों को शिक्षा दी जाती है। सभी शैक्षणिक संस्थानों में देवी की पूजा की जाती है। छात्र और शिक्षा, कला या संस्कृति से जुड़े लोग शाश्वत ज्ञान और ज्ञान के लिए सरस्वती से प्रार्थना करते हैं।

बसंत पंचमी माना जाता है अबूझ मुहूर्त
बसंत पंचमी वसंत उत्सव चक्र की शुरुआत है जो होली के उत्सव के साथ समाप्त होता है। बसंत पंचमी के दिन को बेहद ही शुभ दिन माना गया है। बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त पड़ता है। इसलिए इस दिन किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती।


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