वर्तमान महिला विंबलडन चैंपियन मारियन बारतोली ने अपनी जीत के महज़ 40 दिन के भीतर ही खेल से संन्यास की घोषणा कर दी है. विंबलडन 2013 उनके करियर का एकमात्र ग्रैंड स्लैम ख़िताब है.
दुनिया की सातवें नंबर की इस फ्रेंच खिलाड़ी ने एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान कहा कि उनकी लगातार बरक़रार चोटों की वजह से उन्हें ये फ़ैसला लेना पड़ रहा है.
बारतोली ने सिनसिनाटी ओपन में सिमोना हैलेप के हाथों मिली हार के बाद प्रेस के सामने बेहद भावुक होकर कहा, ''यही वक्त है जब मुझे संन्यास लेना होगा और इसे अपना करियर मानना होगा. मुझे लगता है मेरी विदाई का समय आ चुका है.''
मुश्किल फ़ैसला
बारतोली ने कहा, ''ये फ़ैसला बेहद मुश्किल है. मैं लंबे समय से टेनिस खेल रही हूं और मुझे अपना सबसे बड़ा सपना सच करने का मौक़ा मिला है. सब लोग मेरी वो जीत याद रखेंगे न कि ये आख़िरी मैच. मैने ख़्वाब को सच्चाई में बदला है और ये मेरे साथ हमेशा रहेगा. लेकिन अब मेरा शरीर हर चीज़ सहने के लिए तैयार नहीं है.''
महिला टेनिस संघ की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी स्टेसी एलेस्टर ने बारतोली की तारीफ़ करते हुए कहा, ''वो एक प्रेरणादायक चैंपियन और महिला टेनिस की महान प्रतिनिधि हैं जिन्होने खेल को अपना जीवन समर्पित किया. मुझे उन पर, उनके मूल्यों और विंबलडन जीत को संभव बनाने पर गर्व है.''
विंबलडन जीत
बारतोली ने विंबलडन फ़ाइनल मे सबीन लेज़िकी को मात दी थी
जुलाई में विंबलडन फ़ाइनल मुक़ाबले में जर्मनी की सबीन लिज़ीकी को हराकर ख़िताब अपने नाम करने वाली बारतोली ने कहा कि वो जब खेलती हैं तो उन्हें लगातार कंधे,पीठ और ऐड़ी के ऊपर दर्द रहता है.
उन्होने कहा कि ‘‘ये हमेशा से मुश्किल रहा है.मैं इससे ज़्यादा नहीं खेल सकती.’’ विंबलडन जीत विंबलडन में 6-1 6-4 की अपनी फा़इनल जीत के बाद ही बारतोली ने इस बात का संकेत किया था कि खेल में लगने वाली मेहनत उनकी सेहत पर बुरा असर डाल रही है.
2007 में विंबलडन उप-विजेता रही बारतोली के हाथ कोई ग्रैंड स्लैम का ख़िताब 47वें प्रयास में लगा. वो इतना लंबा इंतज़ार करनी वाली पहली महिला टेनिस खिलाड़ी हैं. फ़िलहाल सिनसिनाटी ओपन खेलने टोरंटो पहुंची इस खिलाड़ी को पहले राउंड में बाय मिला था जबकि दूसरा राउंड हारने के बाद ही उन्होने ये फ़ैसला ले लिया.