टॉपिक को एक्‍सीक्‍यूट नहीं कर पाए
बेयरफुट टू गोवा उन फिल्‍मों में से एक है, जो पब्‍लिक फंडिंग के जरिए बनी होती हैं. ऐसे में डायरेक्‍टर के ऊपर अच्‍छी फिल्‍म बनाने का अतिरिक्‍त बोझ आ जाता है. हालांकि यह लोगों को निराश करती है. फिल्‍म का टॉपिक तो काफी बढिया था, लेकिन उसका एक्‍जीक्‍यूशन सही से नहीं हो पाया. आज के समय में कपल अपने पैरेंट्स को बोझ समझकर घर में नहीं रखते हैं, जिसके चलते उनके बच्‍चे अपने दादी-दादा के लाड़ से वंचित रह जाते हैं. डायरेक्‍टर प्रवीण ने एक अच्‍छे इंटेंशन के चलते फिल्‍म बनाई लेकिन वह उसको जज करने से चूक गए.

Barefoot to Goa
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Family drama
DIRECTOR: Praveen Morchhale
CAST: Kuldeep Singh, Sonu Chourasia, Farukh Jaffer




कुछ ऐसी है फ‍िल्‍म की कहानी  
फ‍िल्‍म का ट्रेलर देखकर कहानी के बारे में पता चलता है कि ये आधारित है दो बच्‍चों पर. ये दो बच्‍चे वो हैं जो अपनी दादी से मिलने के लिए अपना घर तक छोड़ देते हैं. वह किसी को बिना बताए दादी को खोजने निकल पड़ते हैं. ऐसे में ज्‍यों-ज्‍यों ये बच्‍चे आगे बढ़ते हैं, फ‍िल्‍म की कहानी भी कई मोड़ों के साथ आगे बढ़ती रहती है. अब इन बच्‍चों के सफर में इनके साथ क्‍या-क्‍या हुआ यह फिल्‍म देखकर पता कर सकते हैं.

काफी कुछ ध्‍यान रखना पड़ता है
फिल्‍म डायरेक्‍टर प्रवीण ने एक ऐसे टॉपिक पर फिल्‍म बनाने का डिसीजन लिया, जिसे ज्‍यादातर लोग इसलिए छोड़ देते हैं कि उनमें मसाला और इंटरटेनमेंट की कमी होती है. ठीक ऐसा ही इस मूवी में भी हुआ. ऐसे में सिर्फ डायरेक्‍शन और एक्‍जीक्‍यूशन का ही रोल अहम हो जाता है. इसमें आप कैरेक्‍टर्स के साथ खेल सकते हो, लेकिन यह भी चैलेंज से कम नहीं होता है. फिलहाल स्‍टोरी लाइन, कैमरा मूवमेंट एंड अंडर कांफिडेंट स्‍क्रीप्‍ट एक बोर फिल्‍म को जन्‍म देती है. हालांकि चाइल्‍ड एक्‍टर्स ने कैरेक्‍टर के साथ पूरा जजमेंट किया ,लेकिन पैरेंट्स की भूमिका थोड़ी लड़खड़ा गई. इस फिल्‍म की सबसे खास बात है फारुख जफर की एक्‍िटंग. फिल्‍म में एक वहीं हैं जो फिल्‍म को बिलिवेबल फैक्‍टर साबित हो सकते हैं.

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