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बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख निजामी को एक विशेष पंचाट ने आज 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान युद्ध अपराधों के लिये मौत की सजा सुनाई है. तीन सदस्यीय बांग्लादेश अंतरर्राष्ट्रीय अपराध पंचाट के अध्यक्ष न्यायाधीश इनायतुर रहीम ने सजा सुनाते हुये कहा कि उसकी गर्दन को तब तक फांसी पर लटकाया जाये जब तक कि वह मर ना जाये. पंचाट ने अपने फैसले में कहा कि निजामी ने जो अपराध किये है उनकी गंभीरता इतनी अधिक है कि वह मौत से कम सजा नहीं मिल सकती.
16 मामलों में चला मुकदमा
तीन जजों की बेंच के प्रमुख जज एम. इनायतुर रहीम जिस समय सजा सुना रहे थे, उस दौरान कोर्ट खचाखच भरा हुआ था. भूतपूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके निजामी के विरुद्ध 16 मामलों में मुकदमा चलाया गया. इनमें नरसंहार, हत्या, बलात्कार और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप था. हालांकि जमात-ए-इस्लामी संगठन ने निजामी को फांसी की सजा सुनाये जाने के कारण गुरुवार से देश में तीन दिन के बंद का एलान किया है.
उपद्रव का खतरा बढ़ सकता है
कोर्ट द्वारा मौत की सजा सुनाये जाने के कारण सरकार ने देश में सुरक्षा बढ़ा दी है. सरकार को डर है कि फैसले से नाराज कट्टरपंथी पार्टी के समर्थक पूरे देश में उपद्रव मचा सकते हैं. बीते साल भी पार्टी के कई कट्टरपंथी नेताओं को युद्ध अपराध का दोषी मानकर सजा सुनाई गई थी, जिससे जमात-ए-इस्लामी के समर्थकों ने पूरे देश में दंगे भड़का दिये थे. इसमें करीब 500 लोगों की मौत हो गई थी. आपको बताते चलें कि निजामी कुख्यात अल बद्र मिलिशिया का नेतृत्व भी करते थे, जिस पर देश में कई जघन्य अपराध करने का आरोप है.
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