नई दिल्ली भी है शामिल
इकोनामिक इंटेलीजेंस यूनिट (EIU) के ताजा सर्वेक्षण में यह बात कही गई है. EIU द्वारा तैयार 'वर्ल्डवाइड कॉस्ट ऑफ लिविंग रिपोर्ट 2015' के अनुसार, भारतीय शहरों मुंबई, चेन्नई और नई दिल्ली में भी गुजर-बसर करना काफी सस्ता है. सर्वेक्षण में न्यूयार्क को आधार मानकर 133 शहरों को शामिल किया गया. इसमें 160 सेवाओं और उत्पादों की कीमतों को ध्यान में रखा गया है. इसमें बेंगलुरु को कराची के साथ संयुक्त रूप से 133वें स्थान पर, जबकि मुंबई को 130वां, चेन्नई को 129वां और नई दिल्ली को 128वां स्थान दिया गया है.

सिंगापुर में रहने सबसे मुश्किल
सर्वेक्षण में सिंगापुर सबसे महंगा शहर है. उसके बाद पेरिस, ओस्लो, ज्यूरिख और सिडनी का नंबर आता है. जबकि जेनेवा, कोपेनहेगन, फ्रैंकफर्ट और हेलसिंकी शीर्ष दस में महंगे शहरों में शामिल हैं. लंदन को 11वां और टोक्यो को 12वां स्थान दिया गया है. इन नतीजों पर गौर करें, तो सिंगापुर में रहना अभी भी बहुत मुश्किल माना जाता है. इन मंहगे शहरों में गरीबों को गुजर-बसर करने में काफी दिक्कतें होती है.

क्यों सस्ते हैं भारतीय शहर
EIU के मुताबिक, भारतीय शहरों के सस्ते होने का मुख्य कारण वहां की आर्थिक व्यवस्था है. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक व्यवस्था वाले देश भारत में कम मजदूरी और कुछ बुनियादी चीजों पर सब्सिडी देता है. जिसके चलते बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई और नई दिल्ली का नाम सस्ते शहरों में शामिल हुआ है. फिलहाल भारत की इकोनॉमी के आधार पर यहां के नागरिक विदेशों में रहने वाले लोगों से ज्यादा खुश और संपन्न हैं.

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