ज़ीजियांग प्रांत के पूर्वी शहर वेंगज़ू में एक अन्य स्कूल ने विपरीत लिंग के साथ ही समान लिंग के विद्यार्थियों के बीच होने वाले "नज़दीकी संवाद" पर पाबंदी लगा दी है. हालाँकि स्कूल ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि "नज़दीकी संवाद" से उसका आशय क्या है ?
वेंगज़ू के स्कूल प्रशासन ने इस नियम का उल्लंघन करने वालों "गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई" की चेतावनी भी दी है.
'प्रशंसा के काबिल'
चीन के माध्यमिक स्कूलों में बच्चों के दाखिले की उम्र 11 वर्ष है. इस उम्र में बच्चों के अंदर हार्मोनों में बहुत तेज़ और प्रभावी बदलाव हो रहा होता है.
स्कूल प्रांगणों में किशोरों के बीच प्रेम (हालांकि ज़रूरी नहीं कि सेक्स भी हो) के लोकप्रिय होने की ख़बर आने से स्कूल प्रशासन और साथ ही अभिभावक भी इस बात को लेकर चिंतित होने लगे थे कि इस तरह के प्रेम से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है.
ऐसी चिंताओं के देखते हुए ही कुछ स्कूलों ने किशोरों के बीच प्रेम को पनपने से पहले ही कड़े नियम बनाकर कुचल देने की ठान ली. इस काम में कुछ लोगों का समर्थन मिलने लगा है.
किशोरों के बीच के प्रेम को चीन में'ज़ाओ लियान' कहते हैं. इसका अर्थ है,"शुरुआती प्यार" लेकिन आमतौर पर इस तरह के प्रेम को अपरिपक्व प्रेम माना जाता है.
चीन के स्कूल और शिक्षा अधिकारियों ने ज़ाओ लियान के "अवांछित परिणामों" के बारे में बच्चों को दी जा रही जानकारियों की झड़ी लगा दी है.
ऐसी कई वेबसाइटें भी खुल गई हैं जो किशोरों को विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण से बचने और पढ़ाई पर ध्यान देने के तरीके बताती हैं. चीन के स्कूलों में किशोरों को यौन शिक्षा भी दी जा रही है.
शिक्षकों और अभिभावकों दोनों को लगता है कि स्कूल में बच्चों को केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना देना चाहिए ताकि उनका भविष्य बेहतर हो सके. और इसलिए किशोरों को पढ़ाई से ध्यान भटकाने वाली किसी भी चीज से दूर रहना चाहिए.
इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हांग्ज़ू और वेन्ज़ू शहरों के स्कूल हर संभव कोशिश कर रहे हैं और कुछ स्कूलों को लगता है कि इसके लिए उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए.
'कोई बुराई नहीं'
हालाँकि वीबो माइक्रोब्लॉग्स पर इन नियमों के अपलोड होने के बाद से चीन के इंटरनेट यूज़र्स इनके खिलाफ़ गुस्से भरी टिप्पणियां भी कर रहे हैं.
कई का कहना है कि यह नियम "बर्बर और शोषणकारी है."
एक इंटरनेट यूज़र ने पूछा है, "आप एक पुरुष और महिला विद्यार्थी के बीच दूरी को कैसे नापते रहेंगे."
मुख्यधारा के मीडिया में भी इस तरह के निर्देशों के खिलाफ़ आवाज़ उठ रही है. सरकारी नियंत्रण वाले अख़बार, चाइना यूथ डेली, ने इन तरीकों को "बेतुके, हास्यास्पद, और गैरकानूनी" बताया है.
अख़बार कहता है, "युवाओं का प्यार करना सामान्य बात है. स्कूलों में किशोरों के बीच के प्रेम को हतोत्साहित किया जाना चाहिए लेकिन इसके लिए अतिवादी और दमनकारी कदम नहीं उठाए जाने चाहिए."
बीबीसी ने भी कुछ चीनी युवाओं से बात की.
बीजिंग में हाईस्कूल पास एक छात्रा ने कहा कि इन नियमों का पालन करवाना शिक्षक पर निर्भर करता है और कुछ शिक्षक काफ़ी लचीला रुख अपनाते हैं.
वह कहती हैं, "यह ग़लत बात नहीं है क्योंकि ऐसे बहुत से किशोर स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद शादी कर लेते हैं."
बीजिंग के ही एक अन्य छात्र ने कहा, "विद्यार्थियों के प्यार करने में कोई बुराई नहीं है बशर्ते इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो."
पोर्नोग्राफ़ी का डर
नान्जिंग विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर ज़ांग युलिंग शिक्षा विशेषज्ञ हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि इन कोशिशों का उल्टा प्रभाव इसलिए पड़ा क्योंकि चीन में सामाजिक स्वीकार्यता के मूल्य बदल रहे हैं.
वह कहते हैं, "स्कूल विद्यार्थियों से कैदी की तरह बर्ताव करते हैं और लोग इससे सहमत नहीं हैं."
हालांकि प्रोफ़ेसर ज़ांग स्कूलों के विद्यार्थियों पर ज़्यादा नियंत्रण रखने के पक्ष में हैं.
वह कहते हैं, "30 या 40 साल पहले जब चीन में सुधार शुरू हुए थे और इसके दरवाज़े बाहरी दुनिया के लिए खुले थे, तब लोग सेक्स के मामले में निर्मल और सीधे थे."
"लेकिन आज के युवाओं के पास पिछली किसी भी पीढ़ी के मुकाबले ज़्यादा जानकारी और संदर्भ हैं. लोग ख़ास तौर पर युवाओं की क्लिक करें पोर्नोग्राफ़ी तक पहुंच को लेकर चिंतित हैं."
अब बाकी दूसरे स्कलू किशोरों की भावनाओं पर नियंत्रण रखने वाले इस तरह के निर्देश दें या न दें इस विषय पर चर्चा रुकने वाली नहीं है.
और असल देखने की चीज तो यह होगी कि जिन स्कूलों में ऐसे निर्देश दिए गए हैं उनमें किशोरों के बीच प्रेम पनपने पर कितनी रोक लग पाती है.
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