बाली के घने जंगलों के बीच एक गांव है जिसका नाम तुरनियान है। यहां पर आदिवासी लोग रहते हैं। इस गांव में एक अजीब-सी खतरनाक प्रथा है, जहां लोगों को मरने के बाद जलाया नहीं जाता बल्कि पिंजरे में बांध कर सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है।
बतूर झील के पास बसा एक पहाड़ी गांव तुरनियान में अगर कोई मर जाता है तो उसे जलाने और दफनाने की प्रथा नहीं है। बल्कि बॉडी को पिंजरे में डालकर सड़ने के लिए छोड़ देते हैं। एक बार जब पूरा शरीर गल जाता है तो उस कंकाल को एक पेड़ के नीचे पत्थर पर रख दिया जाता है और फिर उसके ऊपर घर बना दिया जाता है। ये प्रथा का सम्मान पाने का हक केवल उन लोगों के लिए है जो शादीशुदा होते हैं।
जो लोग कुंवारे मरते हैं उनको दफानाया जाता है। जहां इन लाशों को रखा जाता है वहां सिर्फ मर्दों को जाने की अनुमति है। जो भी क्रियाकरम करने होते हैं मर्द ही करते हैं। चाहे लाशों की सफाई करना हो, या कपड़े पहनाना हो और उनके सिर को हवा में खुला छोड़ना। उनका मानना है कि अगर इस कब्रिस्तान में औरतें जाएंगी तो उनका पूरा गांव भूकंप या ज्वालामुखी से नष्ट हो जाएगा। मुर्दों को जंगल में इधर-उधर नहीं बल्िक एक खास पेड़ के नीचे रखा जाता है। Taru Menyan नाम का एक पेड़ है जिससे काफी अच्छी खुशबु निकलती है।
Weird News inextlive from Odd News Desk