कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Bada Mangal 2022 हनुमान जी को बजरंगबली भी कहा जाता है। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि भगवान हनुमान को बजरंग बली क्यों कहते हैं। इसका उल्लेख वनमाली की किताब 'श्री हनुमान लीला' में मिलता है। उसके अनुसार बजरंग बली नाम वास्तव में संस्कृत शब्द वज्र और अंग का बिगड़ा हुआ रूप है, जिसका अर्थ है वह, जिसके अंग वज्र के समान कठोर हैं। हनुमान जी का शरीर काफी बलशाली है और वज्र जैसा है। इसलिए उन्हें बजरंग बली कहा जाता है।
हनुमान नाम की भी है एक कहानी
हनुमान जी का एक अन्य नाम संकटमोचन है याने वह, जो दुख एवं संकट से हमारी रक्षा करता है। उन्हें वीर और महावीर भी कहा जाता है जिससे उनकी महान शक्तियों का पता लगता है। उन्हें पंचमुखी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान को अपनी समस्त शक्तियाँ "राम" शब्द के निरंतर जप से प्राप्त हुई हैं। उनका सबसे प्रचलित नाम हनुमान है और इसके दो अर्थ हैं। एक, वे विशिष्ट अथवा विरूपित ठुड्डी (हनु) से युक्त (मान) हैं। हनुमान जी की ठुड्डी को लेरक एक प्रचलित कथा है। कहा जाता है कि एक बार बचपन में हनुमान जी सूर्य को पकड़ने के लिए उसको ओर लपके थे। उन्होंने सूर्य को लड्डू समझकर खा लिया। जिसके चलते पूरे जग में अंधेरा छा गया। तब इंद्र ने उनकी ठुड्डी पर प्रहार किया और उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई। तब से उन्हें हनुमान कहा जाने लगा।
पवनपुत्र भी है एक नाम
भगवान हनुमान को आंजनेय भी कहते हैं, जिसका अर्थ अंजनिपुत्र अथवा अंजना का पुत्र है। उन्हें अपने पिता वायुदेव से अनेक नाम प्राप्त हुए हैं। उन्हें वायुपुत्र, पवनपुत्र, पावकात्मज तथा मारुति नाम से भी जाना जाता है। उन्हें केसरी का पुत्र होने के नाते केसरीसुत एवं केसरीनंदन तथा केसरीप्रिय भी कहा जाता है जिसके द्वारा उनका संबंध अपने वानर पिता केसरी से पता लगता है।