बैकऑफ चोर
एजेंसियों ने इनमें से सबसे खतरनाक वायरस की पहचान 'बैकऑफ' के रूप में की है. यह वायरस तीन आवरणों में रहता है जिससे उसकी पहचान कर पाना मुश्किल है. ज्यादातर एंटी वायरस वेंडरों के पास इसका जवाब नहीं है. इंडिया में हैकिंग आदि समस्याओं का सामना करने वाली नोडल एजेंसी सीईआरटी-इन के अनुसार बैकऑफ वायरस नई चुनौती के रूप में उभर रहा है.
विंडोज ओएस है इसका शिकार
यह वायरस विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में घुसकर वहां से बड़ी आसानी से क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकता है. क्रेडिट और डेबिट कार्ड यूजर के नाम, एकाउंट नंबर, सीवीवी नंबर और पासवर्ड तक हथियाने में समर्थ है. इसके अलावा एजेंसियों का कहना है कि ट्रोजन वायरस फैमिली से इस नए वायरस का संबंध है. ऐसे वायरस अटैक से बचने के लिये जरूरी है कि देख और सोच समझकर ही चीजें डाउनलोड करें, अटैचमेंट खोलने से पहले भी सोर्स चेक करें. इसके अलावा बिना सिक्योरिटी वाली वेबसाइट पर जानें से बचें.
कैसे हो सुरक्षा
एजेंसी ने वायरस से बचने के लिये अविश्वसनीय वेबसाइट पर न जानें, सिस्टम तक एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सेस की इजाजत न देने, वायरस द्वारा बनाई गई किसी फाइल को डिलीट करने और ऑटो रन व प्ले जैसे ऑप्शंस को डिसेबल करने की सलाह दी है.
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