350 पाउंड के हाथी के साथ यात्रा करना गैरी के लिए यादगार अनुभव रहा.

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कीनिया में पैदा हुए गैरी रॉबर्ट्स फ़िलहाल चाड में रहते हैं. वह पायलट हैं और नर्स भी.

पिछले साल मार्च में उत्तरी चाड में एक राष्ट्रीय पार्क के निदेशकों ने गैरी को फ़ोन करके कहा कि हाथियों के मारे जाने की ख़बरें आ रही हैं.

गैरी ने बीबीसी को बताया, ''उन्होंने मुझसे कहा कि क्या मैं जहाज़ उड़ाकर वहां जाकर वास्तविकता का पता लगा सकता हूं. मैंने जो देखा वह बेहद दुखद था. चारों तरफ़ ख़ून बिखरा था. हाथियों की हड्डियां पड़ी थीं. उन्हें हथियारों का इस्तेमाल करके मारा गया था.''

गैरी बताते हैं- इस सर्वे के कुछ दिन बाद चाड के वन्य जीव निदेशक ने मुझे फ़ोन करके कहा कि हाथियों की हत्या वाले स्थान से ये ख़बरें आ रही हैं कि वहां एक हाथी ज़िंदा बच गया है.

हालांकि वह कहां है इसका पता लगाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि वो जंगल से किसी गांव की ओर निकल गया था, उसका पता लगाने में चार पांच दिन लग गए.

जंगल से जहाज़

हाथी के बच्चे के साथ उड़ाया जहाज़

गैरी कहते हैं, ''जब मुझे वो मिला तो बहुत ग़ुस्से में था क्योंकि वो चार दिन से एक पेड़ से बंधा हुआ था. बच्चे उसे परेशान कर रहे थे. मैं उसकी तरफ़ बढ़ा तो उसने मुझे काटने की कोशिश की और सूंड उठाकर मारना चाहा. क़रीब 30 मिनट की मेहनत के बाद हम उसे कुछ खिला सके और उसने मुझे स्वीकार कर लिया.''

चुनौती थी इस हाथी के बच्चे को अपने जहाज़ में उड़ा कर ले जाना. जहाज़ छोटा था 4 सीट वाला और हाथी का वज़न 350 पाउंड.

गैरी कहते हैं, ''जो ख़बरें आई थीं उनमें कहा गया था कि हाथी बहुत छोटा है लेकिन यहां ये बच्चा 9 महीने का था. सो थोड़ी चिंता थी. हम उसे दूध की बोतल का लालच देकर जहाज़ तक ले गए फिर उठाकर जहाज़ के अंदर रख दिया. वह बहुत ही मुश्किल से अंदर समा पाया. वो लगभग पूरे जहाज़ में भर गया था.''

यात्रा

हाथी के बच्चे के साथ उड़ाया जहाज़

नन्हे हाथी ने प्लेन के अंदर गैरी के जहाज़ के कंट्रोल बोर्ड के साथ छेड़छाड़ की, गैरी बताते हैं ''उसे कंट्रोल में काफ़ी दिलचस्पी थी. वो अपनी सूंड से मेरे हाथ छू रहा था. बटनों से छेड़छाड़ कर रहा था. मेरा मुंह भी छू रहा था. एक हाथी के साथ जहाज़ उड़ाने का यह अनोखा अनुभव था.''

हालांकि गैरी उसे बचा नहीं सके क्योंकि वो हादसे के आठ दिन बाद मिला था और काफ़ी कमज़ोर था.

गैरी ने बताया, ''वह अपनी मां से दूर था. गले में पड़ी रस्सी से उसे संक्रमण हो गया था. गांव वालों ने उसे गाय का दूध पिलाया लेकिन यह हाथी के बच्चे के लिए हानिकारक होता है. अपने परिवारवालों की हत्या की पीड़ा और इन परेशानियों के चलते उसका बचना मुमकिन नहीं हो पाया.''

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