गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी का बचाव करते हुए उदित राज ने कहा, "अगर 2002 के दंगे की चर्चा करते हैं तो 1984 की भी बात करनी पड़ेगी. ढेर सारे दंगे हुए हैं देश में. सेलेक्टिव रूप से सिर्फ मोदी जी पर प्रहार करना उचित नहीं है."

बीबीसी के पाठकों के सवालों के जवाब देते हुए उदित राज ने कहा, "रामदेव ने जो कहा वो राहुल गांधी पर हमला था. रामदेव जी ने दलित महिलाओं के पैर धोए हैं. उन्होंने अपने बयान के लिए खेद भी व्यक्त किया है."

योग गुरु रामदेव ने 25 अप्रैल को एक कार्यक्रम में कहा था कि राहुल गांधी दलितों के घर में हनीमून और पिकनिक मनाने जाते हैं. उनके ख़िलाफ़ इस बयान के लिए केस भी दर्ज हुआ है.

उदित राज ने इस मामले पर बीएसपी अध्यक्ष मायावती पर भी निशाना साधा. उदित राज ने कहा कि इस मुद्दे पर मायावती को बोलने का अधिकार नहीं है.

उदित राज ने कहा, "रामदेव जी ने जो टिप्पणी की थी. मैंने उस बारे में रामदेव जी से पूछा था कि आपने क्या कहा. मैं मायावती जी से पूछना चाहता हूं कि उनसे कोई सवाल क्यों नहीं पूछता. वो तो अपने बगल की सीट पर किसी दलित को बैठने नहीं देती हैं."

उन्होंने आगे कहा, "अगर किसी शब्द से कोई समाज अपमानित हो जाए तो फिर चुनाव वगैरह लड़ना नहीं चाहिए. इस बयान को तिल का ताड़ बनाया गया है. इसमें दम नहीं है."

'तो 84 की बात भी करनी पड़ेगी'

'रामदेव ने दलित महिलाओं के पैर धोए'

उदित राज ने कहा कि दलित अब भी फ़रियादी हैं. उन्हें निर्णय लेने की ख़ास क्षमता नहीं दी गई है.

उन्होंने कहा, "अभी मैं भी निर्णय लेने की क्षमता में नहीं हूं लेकिन आगे हो जाऊंगा. कांग्रेस में कौन सा दलित नेता है जो ख़ुद निर्णय ले सकता है. वो तो फ़रियादी ही हैं. केवल एक पार्टी है बहुजन समाज पार्टी, जिसे फ़रियाद करने की ज़रूरत नहीं है लेकिन वो कुछ करती ही नहीं है."

उन्होंने इस बात से भी इनकार किया है कि भारतीय जनता पार्टी अलग-अलग परतों में आरक्षण पर विचार कर रही है.

उन्होंने कहा, "विभिन्न परतों में आरक्षण की बात पार्टी की राय नहीं है. ये बिल्कुल ग़लत और निराधार बात है."

उन्होंने इस बात को भी ग़लत बताया कि दलितों पर हमले बढ़े हैं. उन्होंने कहा, "हमले कम हुए हैं. पहले कितने खैरलांजी हुए अब कम हुए हैं. हां ये ज़रूर है कि मीडिया के कारण रिपोर्ट अधिक हो रहे हैं."

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