ढिशुम विशुम, एक्शन वैक्शन
फिल्म : बागी 2
डिअर टाइगर,
मेरे लाल, क्यों तुम लोगों को अनइंटेशनली हंसाने में लगे हो, मुझे तो लगा था कि ये एक्शन फिल्म है पर जब तुम अपनी मधुर आवाज में कहते हो ' जो तुम्हारा टार्चर है, वो मेरा वार्मअप है' तो बिल्कुल मिकी माउस की याद आती है। मिकी की आवाज और तुम्हारी बॉडी (शानदार) जब मिलती है तो कंफ्यूज़न में बरबस मेरी हंसी फुट पड़ती है।
अगली बार, प्लीज़ डोनाल्ड डक की आवाज़ में डब करना...
हंसी से लोट पोट तुम्हारे दर्शक
इस ओपन लेटर के साथ शुरू करते हैं 'कलयुग की बाहुबली' मेरा मतलब है बागी 2 की समीक्षा।कहानी
दिशा पाटनी एक दुखी आत्मा है जो मदद की गुहार लगाने के लिए अपने लांग लॉस्ट मित्र टाइगर के पास आती हैं जो कि वन मैन आर्मी है। टाइगर मदद के लिये एवररेडी है और वो काम पे लग जाते हैं और फिर पूरी फिल्म में धूम धड़ाका होता है और अंत मे क्या होता है ये तो आप समझ ही गए होंगे।
समीक्षा
आधा दर्जन विलेन, डेढ़ सौ बाउंसर साइडकिक गुंडे और हेरोइन के रूप में एक मुसीबतों का पिटारा और इन सब से लड़ता हुआ टाइगर श्रॉफ। जब फिल्म का प्लाट बस इतना ही हो तो फिल्म में कहानी को ढूंढना मूर्खता होगी। तो कहानी को साइड में रखते हैं और बात करते हैं उन बातों की जिसकी वजह से आप बागी 2 देखने जाने की सोच रहे होंगे। फिल्म में एक्शन वैसे ही भरा है जैसे कानपुर और कोटा में आई आई टी एस्पिरेन्ट्स और ऑलमोस्ट हर एक सीन में आप चटकती हुई हड्डियों और टाइगर की ब्रोंज़र से पुती हुई फड़कती हुई मसल्स को देख सकते हैं और अगर आप ये देख के खुश हो सकते हैं तो ये फिल्म आपको खुश ज़रूर करेगी। पर अगर आप फिल्म को फिल्म की तरह देखना चाहते हैं तो आप हंस हंस के लोट पोट हो जाएंगे और फिल्म आपके लिये एक अनइंटेंशनल कॉमेडी बन जाएगी। इस फिल्म के विलेन टिपिकल और क्लीशेड हैं और आधा दर्जन हॉलीवुड फिल्मों से स्टंट चुरा चुरा कर इस फिल्म में डाला गया है। एक्शन काफी अनरियलिस्टिक है। इसी तरह फिल्म का स्क्रीनप्ले भी भानुमति का पिटारा ही है। मेरी ये भी जानने में रुचि है कि मिकी माउस ने टाइगर की डबिंग क्यों की है और अगर ये आवाज़ टाइगर की ही है तो ऐसी क्यों है। फिल्म के डाइलॉग बिल्कुल ऐस हैं जैसे मुम्बई के किसी गुंडा गैंग की जुआ पार्टी में लिखे गए हों।
क्या आया पसंद
एक्शन और डांस में टाइगर बड़े सिंसियर तरिके से काम करते हैं। उनकी परफ़ॉर्मेंस (आवाज़ को छोड़कर) एक दम फुल पावर है और वही इस फिल्म की बैक बोन हैं। अनरियलिस्टिक एक्शन भी बिलिवेबल इसलिए लगता है क्योंकि टाइगर इसे वैसे ही करते हैं। टाइगर को अपने एफर्ट के लिए फुल मार्क्स। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी बहुत ही अच्छी है और फिल्म के लुक एंड फील को एन्हांस करती है। साउंड डिज़ाइन और विसुअल इफ़ेक्ट भी बढ़िया हैं।
फिल्म की बाकी कास्ट
रणदीप हुडा और मनोज वाजपेयी अपने अपने फिल्मी जीवन के सबसे फ़र्ज़ी किरदारों में आपको इस फिल्म में नज़र आएंगे। न न कहने का ये मतलब नहीं है कि उन्होंने मेहनत नहीं की। उनके किरदार एक दम खराब लिखे हैं , वो करते भी तो क्या करते। दुखी आत्मा यानी डैमसेल इन डिस्ट्रेस के किरदार में दिशा पाटनी ने कुंग फू योग से भी रद्दी परफॉरमेंस दिया है। फिल्म दर फिल्म उनकी एक्टिंग खराब होती जा रही है। प्रतीक बब्बर और दीपक डोबरियाल का काम ठीक-ठाक है।
वर्डिक्ट
कुलमिलाकर ये फिल्म युट्यूब पे कभी न खत्म होने वाला एक्शन क्लिप्स का कमपायलेशन का फील देती है। फिल्म एक्शन और वायलेंस से भरी हुई है इसलिए अगर आप अतरंगी तरीके से टूटती हुई हड्डियां को देखना चाहते हैं तो शामिल हो जाइए रियलिस्म की अंतिम यात्रा मेरा मतलब बागी 2 में।
रेटिंग : 2.5 स्टार
Yohaann Bhaargava
Twitter : yohaannn
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