कहानी

बाबा को उसके जन्मदिन पे पता चलता है कि गोआ में काजू बेचने वाले उसके पिता एक हिटमैन हैं और अब उसे ही फैमिली 'कल्चर' आगे बढ़ाना होगा। क्या बाबा ये कर पाएगा?

समीक्षा

ये फिल्म देख के मुझे सहसा हर वो फिल्म याद आ गई जिसका कांसेप्ट तो धांसू था पर एक्सीक्यूशन बेहद रद्दी। फिल्म शुरवात से ही मुर्गी की तरह इधर उधर भागने लगती है, और इसे पकड़ पाना बड़ा मुश्किल काम है। कुछ चीज़ें तो जैसे आज कल हम टेकन फ़ॉर ग्रांटेड ले लेते हैं, जैसे गोआ है तो क्राइम होगा ही होगा जबकि गोआ अब बिल्कुल बदल चुका है। खैर ये सब तो माफ किया जा सकता है पर आखिर ये फिल्म है जो मनोरंज के लिये बनाई गई है। बात वहां बिगड़ती है जब मनोरंजन दूर दूर तक ढूंढने से नहीं मिलता। फिल्म के किरदार ठीक से लिखे ही नहीं गए और स्क्रीनप्ले हर दिशा में रायते की तरह फैला हुआ है। इसी बात का खमियाजा फिल्म शुरू से अंत तक भुगतती है। फिल्म के डायलॉग फिल्म को बचा सकते थे पर अफसोस वो भी इतने बचकाने हैं कि मत पूछिए। फिल्म में संगीत भी बेमतलब में ठूसा हुआ है जो रही सही कसर भी पूरी कर देता है।

अदाकारी

अनुपम खेर इस इस बुझते हुए दिए का बचा हुआ तेल हैं। वो ही हैं जो अपनी शानदार अदाकारी से अपने सीले हुए किरदार को कड़क बना देते हैं। मनीष पॉल का व्यक्तित्व आकर्षक है पर जैसा कि मैंने तेरे बिन लादेन 2 के वक़्त कहा था कि उनको सख्त जरूरत है एक ऐसी फिल्म की जो उनकी एक्टिंग कैपेबिलिटी को शोकेस करे। मनीष को अपने स्क्रिप्ट सिलेक्शन पे ध्यान देना होगा। केके मेनन ओवर द टॉप लाउड हैं और बेहद इर्रिटेट करते हैं। फिल्म की बाकी कास्टिंग तो बात करने लायक ही नहीं है। ऐसा लगता है कहीं से भी किसी को भी उठा कर ले आये और फिल्म शूट कर ली।

वर्डिक्ट

बा बा ब्लैक शीप, उन फिल्मों में से है जो अगर किसी अच्छे लेखक ने लिखी होती तो बेहद मनोरंजक फिल्म होती। इस फिल्म में न तो कुछ नया या और न ही कुछ स्पेशल। ये खराब लिखे हुए स्क्रीनप्ले और सेट फॉर्मूलों की भेड़ चाल में चलती एक बेहद बोर फिल्म है। फिर भी अगर आप मनीष पॉल और अनुपम खेर के फैन हों तो जाकर देख सकते हैं बा बा ब्लैक शीप।

Rating : 1 स्टार

Yohaann Bhaargava

Twitter : yohaannn

करण जौहर ने आलिया भट्ट के जन्मदिन पर दिया ये खास तोहफा

शाहिद और श्रद्धा की हुई 'बत्ती गुल' , जानें कब होगा 'मीटर चालू'

Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk