VARANASI: डीएवी कालेज परिसर में सदियों से अपनी हरियाली और छांव से क्रांतिकारियों और छात्रों पर ममता लुटाने वाला विशाल बरगद का वृक्ष आज भी वहीं विराजमान है. ब्रिटिशकाल में इसी पेड़ के नीचे बैठकर क्रांतिकारियों ने आजादी की अलख जगाई थी. एक बार चंद्रशेखर आजाद ने भी आजादी का बिगुल फूंका था.
डेढ़ सौ वर्ष पुराना है बरगद
डीएवी कालेज में जबर्दस्त हरियाली है. आज से करीब डेढ़ सौ साल पहले क्षेत्रीय लोगों ने करीब दो एकड़ में फैले परिसर में हर तरफ पेड़ लगाए, जो आज विशाल स्वरूप ले चुका है, इसमें बरगद का पेड़ भी शामिल है.
जुटते थे स्वतंत्रता सेनानी
डीएवी परिसर में प्रवेश करते ही दाहिनी ओर मौजूद बरगद का वृक्ष आज भी विशाल स्वरूप में विराजमान है. इस पेड़ के नीचे अक्सर स्वतंत्रता सेनानी सूबेदार मिश्रा अपनी मंडली के साथ बैठते थे. डीएवी में अध्ययन करने वालों छात्रों के अंदर देश को आजाद कराने की भावना पैदा करते थे. धूपचंडी निवासी सूबेदार मिश्रा की आवाज बहुत कड़क थी. वह अपने ओजस्वी उद्बोधन से लोगों में देश प्रेम का जज्बा भरते थे. इसके बाद मंडली के साथ लाई-चने का आनंद लेते थे. क्षेत्रीय लोग बताते हैं कि इस पेड़ के नीचे बैठकर एक बार चंद्रशेखर आजाद ने भी आजादी का बिगुल फूंका था.
ज्वलंत मुद्दों पर होती है चर्चा
बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर आज भी डीएवी इंटर कालेज के छात्र अध्ययन करते हैं. पेड़ की छांव में देश के ज्वलंत मुद्दों को लेकर छात्रों के बीच जबर्दस्त बहस छिड़ती है. आज कल यहां सिर्फ चुनावी चर्चा हो रही है.