मौत की सजा नहीं होगी खत्म
किरण रिजिजू ने मंगलवार को लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में मृत्युदंड की सजा को समाप्त करने के लिए मंत्रालय द्वारा भारतीय दंड संहिता, 1860 में संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं है. एक सवाल के लिखित जवाब में गृहराज्य राज्यमंत्री ने कहा कि विधि आयोग ने मई 2014 में अपनी वेबसाइट पर परामर्श पत्र पोस्ट कर मौत की सजा को लेकर लोगों से सुझाव और टिप्पणियां मांगी थीं. रिजिजू ने कहा कि जल्द सुनवाई और जांच व मुकदमे की कार्रवाई में तेजी के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की विभिन्न धाराओं में पहले से ही बदलाव किए गए हैं. इसके अलावा, समयबद्ध सजा और जल्द न्याय सुनिश्चित करने के लिए 2008 में सीआरपीसी की धाराओं में भी संशोधन किए गए हैं.
आत्महत्या है एक मनोविकार
विधि आयोग ने अपन रिपोर्ट में कहा है कि खुदकुशी के बारे में सोचना या जान देने की कोशिश करना मनोविकार की तरह है. ऐसे में सजा के बजाये संबंधित व्यक्ति के इलाज की जरूरत ज्यादा है. गहरे अवसाद के चलते कोई अपना जीवन समाप्त करने की सोचता है. इस दौरान उस व्यक्ति को अपराधी करार देना उसे दोहरी सजा देने जैसा होगा. इसके साथ-साथ किरण रिजिजू ने यह भी कहा कि जब तक सभी गवाहों से पूछताछ पूरी नहीं हो जाती तब तक प्रतिदिन सुनवाई के लिए आपराधिक कानून के तहत धारा 309 में भी संशोधन किया गया है.
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