कुछ ऐसी है जानकारी
इस आश्ांका का जिक्र उद्योग मंडल 'एसोचैम' की ओर से किया गया है. संस्था की ओर से किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया था कि बारिश की वजह से खराब हुई फसलें सब्जियों की कीमतों में बृद्धि करने को तैयार हैं. दरअसल एसोचैम-स्कायमेट वेदर के संयुक्त अध्ययन में इस बात को बताया गया है कि तैयार फसल को कम से कम 25-30 प्रतिशत नुकसान हुआ है. ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित गेहूं की खरीद हुई है. बताते चलें कि गेहूं की खरीद सामान्य तौर पर अप्रैल के महीने में शुरू होती है, जो कि अभी तक नहीं हो सकी है.
क्या-क्या होगा महंगा
एक रिपोर्ट में यह बात बताई गई है कि मौसम की मार में सबसे ज्यादा आम, केला, अंगूर और चने जैसी फसलें प्रभावित हुई हैं. इसका सीधा असर इन फलों की उनकी कीमतों पर पड़ा है. बाजार में जाकर इसे आसानी से देखा व महसूस किया जा सकता है. इनके अलावा गेहूं, तिलहन, दाल व फल और सब्जियों के दामों पर भी फर्क पड़ा है. ऐसे में प्रभावित हुई फसलों और सब्जियों में रबी की फसल प्रमुख है, वहीं सब्जियों में टमाटर, फूलगोभी और धनिया सबसे ऊपर पहुंच गए हैं.
क्या कहते हैं एसोचैम के अधिकारी
जानकारी देते हुए एसोचैम के महासचिव डीएस रावत बताते हैं कि बेमौसम बारिश के अलावा इस बार तापमान में भी हर बार की अपेक्षा काफी कमी है. इसका सीधा असर फसलों पर हुआ है, जिसकी पहली मार तो किसान ही झेल रहे हैं. रावत कहते हैं कि आने वाले दिनों में उपभोक्ता भी इसका दंश झेलेंगे, जब सब्जियों की कीमत 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी.
बढ़ी कीटों की आशंका
इसके साथ ही एक और आशंका के बार में रावत बताते हैं कि बेमौसम बरसात ने कीटों की आशंका को भी बढ़ा दिया है. वहीं सरकारी आंकड़ों और इनके अनुमान पर गौर करें तो इस महीने बारिश और ओलावृष्टि से 14 राज्यों में 106.73 लाख करोड़ हेक्टेयर के दायरे में बोई गई रबी फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है. फसलों का इस तरह से चौपट होना प्रकृति के कोप का कोई संकेत भी हो सकता है. इस कोप का पहला भाजन किसान और दूसरा आम लोगों को बनना ही पड़ेगा.
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