तब बीबीसी उर्दू सर्विस से मुझे जुड़े हुए कुछ महीने ही हुए थे। मुझे लियाकत बाग़ जाने के लिए कहा गया था।
देश में आम चुनाव होने के बाद से पूर्व प्रधानमंत्री का भाषण सुनने के लिए लियाकत बागड में बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष के भाषण के दौरान ही ये ख़बर मिली कि इस्लामाबाद एक्सप्रेस-वे के पास क्रॉल चौक पर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की रैली पर गोलीबारी हो गई है जिससे चार लोग मारे गए हैं।
जिस रास्ते से बेनज़ीर दाखिल हुईं
इसी दौरान मेरे ब्यूरो चीफ़ और बीबीसी पाकिस्तान के संपादक हारून रशीद का फोन आया और उन्होंने कहा कि अगर बेनज़ीर भुट्टो ने अपना भाषण ख़त्म कर लिया हो तो आप फौरन क्रॉल चौक पहुंचे जहाँ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) रैली में हुई गोलीबारी में कुछ लोगों के मरने की ख़बरें मिल रही हैं।
मेरे साथ उस समय स्थानीय अखबारों के रिपोर्टर भी मौजूद थे और उन्होंने कहा कि राजनीतिक भाषण तो होते ही रहते हैं। हमें क्रॉल चौक में हुई घटना की कवरेज के लिए जाना चाहिए।
भीड़ की वजह से वहां पर मौजूद रिपोर्टरों ने क्रॉल चौक जल्दी पहुँचने के लिए वही रास्ता अख़्तियार किया जहां से बेनज़ीर भुट्टो सभा स्थल में दाख़िल हुईं थीं।
सर्दियों का वक़्त था...
फिर हम लोगों ने लियाकत बाग़ के पीछे वाले दरवाजे से निकलने की कोशिश की। लेकिन वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने हमें इस रास्ते से जाने की इजाज़त नहीं दी।
पत्रकारों की इस टीम में रावलपिंडी के क्राइम रिपोर्टर भी थे और उन्होंने अपने संबंधों का इस्तेमाल किया जिसकी वजह से हमें वहाँ से निकलने की अनुमति मिल गई।
सर्दियों का वक़्त था, शाम भी थोड़ी जल्दी हो गई और बेनज़ीर भुट्टो ने भी अपना भाषण समाप्त कर लिया था। उनकी सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारी जितनी जल्दी हो सके उन्हें वहां से हटाना चाहते थे।
बेनज़ीर का काफ़िला
देखते ही देखते लियाकत बाग़ से राजा बाज़ार जाने वाली सड़क एक ओर से बंद हो गई।
वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने हम पत्रकारों को वहीं पर रोक दिया और कहा कि आप तब तक आगे नहीं जा सकते जब तक बेनज़ीर भुट्टो का काफ़िला इस्लामाबाद के लिए नहीं निकल जाएगा।
इसी दौरान हम पत्रकार साथी आपस में सुरक्षा व्यवस्था के बारे में बातें करते रहे।
बेनज़ीर भुट्टो पर ख़तरे की चेतावनी के बावजूद लियाकत बागड के बाहर कोई ख़ास सुरक्षा व्यवस्था नहीं दिख रही थी और इसके अलावा रैली वाली जगह के पास स्थित इमारतों की छतों को पुलिसकर्मियों को तैनात नहीं किया गया था और न ही एलीट फोर्स के अफ़सर यहां तैनात किए गए थे।
भयानक धमाका
इस बातचीत के अभी तक पांच मिनट भी नहीं बीते थे कि इसी दौरान बेनज़ीर भुट्टो का काफ़िला इस्लामाबाद रवाना होने के लिए रैली वाली जगह से बाहर निकल पड़ा।
बेनज़ीर भुट्टो की गाड़ियों का काफिला अभी निकलना शुरू ही हुआ था कि इस बीच न जाने कहाँ से एक बड़ी संख्या में समर्थक लियाकत बाग़ के गेट पर पहुंच गए और उन्होंने ढोल ताप पर बेनज़ीर भुट्टो के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए।
और जैसे ही बेनज़ीर भुट्टो उनके नारों का जवाब देने के लिए कार से बाहर निकलीं और उसके बाद वहां तीन गोलियां चलीं और फिर एक भयानक विस्फोट हुआ।
उसके बाद वहां पर मौजूद किसी को कोई होश नहीं था कि वह जान बचाने के लिए किस ओर भागे। इस धमाके में बेनज़ीर भुट्टो सहित 25 लोग मारे गए थे।
आत्मघाती हमलावर
दूसरी ओर वहां घायल लोगों और लाशों के अलावा हर तरफ़ ख़ून बिखरा हुआ था, उनके जिस्म के टुकड़े थे।
मैं घटनास्थल से मरी रोड की ओर जाने के लिए एक साइड से होकर गुजरने लगा तो मेरा पैर जमीन पर पड़े हुए इंसानी जिस्म के किसी हिस्से से टकराया। इसी दौरान एक पुलिसकर्मी वहाँ आया और उसने मुझे धक्का दिया और साथ ही कहा कि हटो यहां से।
मैंने ध्यान से देखा तो एक युवक का सिर पड़ा था और अगले दिन पुलिस ने बिलाल नामक जिस कथित आत्मघाती हमलावर की स्केच जारी की, वो सड़क पर पड़े हुए चेहरे से मिलती थी।
बीबी छोड़कर चली गईं...
कुछ सेकेंड के बाद मेरे कान में बेनज़ीर भुट्टो की सुरक्षा पर तैनात इस्लामाबाद पुलिस के अधिकारी अमजद सुफ़ियान के जोरों से रोने की आवाज़ सुनाई दी। वो ये कह रहे थे कि "बीबी आप हमें छोड़कर चली गईं।"
ये सुनते ही मैं चौंक गया और पूछा क्या हुआ तो उसने फिर वही बात फिर से दोहरा दी, "बीबी आप हमें छोड़कर चली गईं।"
मैंने एक पल के लिए सोचा कि ये तो बहुत बड़ी ख़बर है और यदि मैंने कहा कि बेनज़ीर भुट्टो आत्मघाती हमले में मारी गई हैं और अगर ऐसा न हुआ तो मेरी नौकरी जाने के साथ-साथ मेरी संस्था की साख भी प्रभावित होगी तो मैंने सुरक्षित तरीका अपनाते हुए केवल यही ख़बर देकर संतोष किया कि आत्मघाती हमले में कई लोग मारे गए और बेनज़ीर भुट्टो गंभीर रूप से घायल हो गईं हैं।
बेनज़ीर का इंतकाल
थोड़ी देर में पता चला कि बेनज़ीर भुट्टो और अन्य घायल को अस्पताल ले जाया गया है। फिर ख़बर मिली कि उन्हें जनरल हॉस्पिटल ले जाया गया है।
इस घटना के बाद रावलपिंडी बंद हो गया था और गाड़ियां जहां थीं, वहीं रुक गईं थीं तो ऐसे हालात में मैं ख़ुद को बड़ा भाग्यशाली समझ रहा था कि मेरे पास बाइक मौजूद थी।
ऐसी स्थिति में बाइक की सवारी किसी वरदान से कम नहीं थी। मैं शहर की सड़कों से गुजरता हुआ जनरल हॉस्पिटल पहुंचा।
मैं और मेरे कुछ साथी पत्रकारों ने जनरल हॉस्पिटल के पीछे स्थित नर्सिंग हॉस्टल में दाखिल होने की कोशिश की जहां पर बेनज़ीर भुट्टो का पार्थिव शरीर रखे जाने की ख़बर मिली थी। लेकिन वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने हमें जबरन वहां से निकाल दिया।
कुछ समय बाद बेनज़ीर भुट्टो की मौत आधिकारिक घोषणा आ गई।
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