जकार्ता/कोलकाता (पीटीआई)। एशियन गेम्स 2018 में स्वप्ना बर्मन ने महिलाओं की हेप्टाथलन का स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह हेप्टाथलन में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गईं हैं। दांत दर्द के बीच खेलने उतरीं स्वप्ना ने सात स्पर्धा के बाद 6026 अंकों के साथ स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। इस सुनहरी जीत की कड़ी में उन्होंने ऊंची कूद (1003 अंक) और भाला फेंक (872 अंक) स्पर्धा में पहले स्थान पर रहीं जबकि गोला फेंक (707 अंक) और लंबी कूद (865 अंक) में दूसरे स्थान पर रहीं।
मेडल नहीं जीतती तो नहीं जाती घर
इंडोनेशिया में चल रहे 18वें एशियन गेम्स में स्वप्ना बर्मन के गोल्ड जीतने से उनका परिवार काफी खुश है। दरअसल स्वप्ना जब अपने गांव घोसपारा (जलपाई गुड़ी) से एशियाड में भाग लेने के लिए निकली थीं तो उन्होंने अपनी मां से एक वादा किया था। स्वप्ना ने तब कहा था, अगर वह मेडल नहीं जीत पाई तो घर वापस नहीं आएंगी। नॉर्थ बंगाल के एक आदिवासी इलाके से आने वाली स्वप्ना का परिवार काफी गरीब है। उनकी मां दूसरों के घर में काम करती हैं वहीं पिता घर खर्च के लिए रिक्शा चलाते हैं। इस परिस्थिति के बावजूद स्वप्ना ने एशियाड में गोल्ड जीतने का सपना देखा और वो पूरा भी हुआ।
पैर में हैं 12 उंगलियां
स्वप्ना के करियर को करीब से देख रहे जलपाई गुड़ी के जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन के सचिव उज्जल दास चौधरी बताते हैं कि, 'पैरों में 12 उंगलियों के साथ पैदा हुई स्वप्ना बचपन से ही जिद्दी रही है। अगर कोई उसको हतोत्साहित करता है तो वह उसे गलत साबित करने में जुट जाती है।' पीठ दर्द से परेशान स्वप्ना को हर महीने इंजेक्शन लगवाने के लिए मुंबई जाना पड़ता है। मगर भगवान के प्रति आस्था उसे अंदर से और मजबूत बनाती है। चौधरी कहते हैं, 'स्वप्ना काली मां की बहुत बड़ी भक्त है। उसे जितनी भी प्राइज मनी मिलती है उससे वह अपने घर के बाहर एक काली का मंदिर बनवाने में खर्च कर देती है। पिछले साल भुवनेश्वर में एशियन एथलेटिक्स में पदक जीतकर वह अपने घर आई थी। उसके बाद से स्वप्ना घर नहीं गई। अब जब एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल मिल गया तो पूरा परिवार उसकी राह देख रहा है।'
बेटी के मेडल जीतने पर मां हुई खुश
जकार्ता में स्वप्ना के पदक जीतते ही उनके दो कमरे वाले टिनशेड घर में सब खुशी से झूम उठे। जिस वक्त स्वप्ना खेल रही थीं उनकी मां काली मंदिर में पूजा कर रही थीं। मां का कहना है, 'हमने जिंदगी भर घर में गरीबी ही देखी है। मगर स्वप्ना के गोल्ड मेडल जीतने से सबकुछ बदल जाएगा। अब वह अपने पापा को रिक्शा भी नहीं चलाने देगी।' खैर स्वप्ना की जीत पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें टि्वटर पर बधाई दी है।
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