कानपुर। एशियन गेम्स 2018 में बुधवार को 25 मीटर एयर पिस्टल में भारत की सरनोबत ने गोल्ड मेडल जीत लिया है। राही एशियाड में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर हैं। उनके लिए यह पदक जीतना आसान नहीं था। आखिरी सीरीज में राही तीन के तीन निशाने चूक गई थी लेकिन दबाव के कारण फाइनल में थाईलैंड की निशानेबाज के भी सभी निशाने चूक गए। दोनों के बीच नतीजा शूटऑफ से हुआ। फाइनल में इन दोनों के बीच बहुत रोमांचक मुकाबला हुआ, अंत तक नहीं पता था कि कौन विजेता बनेगा। इसके बाद आखिरी सीरीज में राही ने केवल 2 निशाने मिस किए जबकि थाईलैंड शूटर के 3 निशाने मिस हुए, इस तरह गोल्ड पर राही ने कब्जा कर लिया।
2013 में हुईं थी टेनिस एल्बो का शिकार
एशियन गेम्स 2018 में गोल्ड मेडल हासिल करने के लिए राही को काफी मेहनत करनी पड़ी। दरअसल इस महिला निशानेबाज को टेनिस एल्बो की शिकायत थी। सालों तक वह गन नहीं उठा पाई थीं। साल 2013 में साउथ कोरिया में हुए शूटिंग वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद राही जब घर लौटी तो उनके चेहरे पर खुशी तो थी मगर एक गम भी था, उनके हाथ में उसके बाद तेज दर्द होने लगा था। जिसकी वजह से करीब चार साल तक उनका करियर थमा रहा। मगर उनके पिता जीवन सरनोबत ने हार नहीं मानी और बेटी को वापस शूटिंग रेंज में लाकर ही माने।
पिता जीवन ने हमेशा किया मोटीवेट
गुरुवार को मिडडे से बातचीत में जीवन सरनोबत बताते हैं, 'मैं पूरी तरह से आश्वस्त था कि राही के अंदर गोल्ड मेडल जीतने की क्षमता है। एशियन गेम्स में उसने यह कर दिखाया। अब मैं चाहूंगा इस साल कोरिया में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में उसे ओलंपिक की टिकट मिले। मैं व्यक्तिगत रूप से ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने राही को बेस्ट फिजियो और डॉक्टर्स उपलब्ध करवाए, जिसके चलते उसमें जल्दी सुधार हुआ।'
सचिन का दिया था उदाहरण
राही के पिछले चार सालों के संघर्ष के बारे में जीवन कहते हैं, 'पिछले चार साल राही के लिए काफी संघर्षपूर्ण रहे। वह तब अच्छी फॉर्म में थी मगर टेनिस एल्बो की शिकायत ने उसे वहीं थाम दिया। वह काफी निराश रहने लगी। यहां तक कि किसी भी प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट भी नहीं कर पा रही थी। मगर मैंने उसकी इच्छाशक्ति को कभी कम नहीं होने दिया। एक बार तो मैंने उसे भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का उदाहरण दिया कि वह टेनिस एल्बो से लड़कर विश्व के महान बल्लेबाज बन सकते हैं तो तुम क्यों नहीं।' इसके बाद राही ने अपने पिता की यह बात मानी और आज परिणाम हम सबके सामने है।
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