सेलरी क्लास को राहत
मोदी सरकार में देश के वित्त मंत्री का पदभार संभाल रहे अरुण जेटली गुरुवार को अपना पहला बजट पेश करेंगे. इसमें उनके सामने मिडिल क्लास में टैक्स रियायतों की उम्मीदों और निवेश व आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए राजकोषीय स्थिति को मजबूत रखने की चुनौती के साथ तालमेल बिठाने की चुनौती है. जेटली के सामने एक नहीं कई मुसीबतें होंगी जैसे इकनॉमिक ग्रोथ रेट में गिरावट, स्थिर पड़े निवेश, ऊंचे राजकोषीय घाटे व तेल संकट. इन सबके बीच जो चीज बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है वो है जनता की उम्मीद बीजेपी नीत सरकार महंगाई से त्रस्त आम आदमी को राहत देने के वादे के साथ सत्ता में आई है और इसे पूरा करना सबसे अहम है. सरकार से टैक्स स्लैब ऊंचा करने एवं कर छूट की एनुअल इमकम लिमिट बढ़ाने की बहुत उम्मीदें हैं. यदि सरकार इस मोर्चे पर कदम उठाती है, तो सेलरी क्लास को जरूरी राहत मिलेगी. निवेश बढ़ाने के लिए जेटली इंडस्ट्री के लिए कर प्रोत्साहन की घोषणा कर सकते हैं.
सख्त कदम उठाए जाएंगे
वहीं बजट आने से पहले ही सरकार ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक्साइज डयूटी दिसंबर तक बढ़ा दी है. इससे ऑटोमोबाइल कंपनियों को कुछ समय तक जरूर राहत मिलेगी. वित्त मंत्री सोने की इम्पोर्ट डयूटी में भी कमी कर सकते हैं. बढ़ते चालू खाते के घाटे को रोकने के लिए सरकार ने पिछले साल सोने के इम्पोर्ट पर डयूटी बढ़ा दी थी. कमजोर मॉनसून के असर से किसानों को बचाने के लिए वित्त मंत्री उन्हें भी राहत प्रदान कर सकते हैं. भले ही जेटली टिपिकल इकनॉमिस्ट न हों लेकिन वो राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे और लोगों को लुभाने वाली योजनाओं पर खजाने की बलि नहीं चढ़ाएंगे. इस दिशा में जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ने संकेत दिया है कि बजट में कुछ सख्त कदम उठाये जायेंगे.
Business News inextlive from Business News Desk