वहीं कुछ अन्य लोगों का कहना है कि ये लोग सेना के पूर्व अधिकारी ख़लीफा हिफ्तार से संबंध रखते हैं. शुक्रवार को बेनगाज़ी शहर में हुए हमलों में ख़लीफा हिफ्तार का ही हाथ बताया जा रहा है.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जब सरकार समर्थित सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई की तो उन्होंने इस इलाके में भयानक धुआँ देखा.
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि ये बंदूकधारी ज़िन्टान नामक चरमपंथी संगठन से जुड़े हैं जो कि पूर्व शासक कर्नल गद्दाफी के समर्थक थे.
पूर्व चेतावनी
"लीबिया में कोई वास्तविक संसद नहीं है. कोई वास्तविक सरकार नहीं है. हर जगह सशस्त्र चरमपंथियों का बोलबाला है. सरकार पूरे देश पर नियंत्रण रखने में सक्षम नहीं है, हम देख रहे हैं कि बेनगाजी में क्या हुआ. देश एक भयानक ज्वालामुखी के मुहाने पर है जो जल्द ही फूटने वाला है."
-तौफ़ीक ब्रीक, एक राजनीतिक पार्टी के नेता
वैसे हमले की चेतावनी पहले ही मिल चुकी थी जिसकी वजह से संसद भवन परिसर में ज्यादा लोग नहीं थे हालांकि बाद में रिटायर्ड जनरल ख़लीफा हफ्तार के नेतृत्व में बने एक अर्धसैनिक बल ने हमले की जिम्मेदारी ले ली है.
तौफीक ब्रीक लिबरल नेशनल फोर्सेज अलाएंस पार्टी के सदस्य हैं. उनका कहना है, '' देश एक ज्वालामुखी के मुहाने पर है जिसमें कभी भी धमाका हो सकता है."
पूर्व शासक कर्नल गद्दाफी के वफ़ादार रहे ख़लीफा हिफ्तार ने ही शुक्रवार को बेनगाज़ी शहर में इस्लामी चरमपंथियों पर हुए हवाई और ज़मीनी हमले का नेतृत्व किया था.
इस हमले में सत्तर से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. सरकार ने इस घटना की निंदा की थी और बेनगाज़ी शहर को नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया था.
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