कानपुर। पचास साल पहले आज ही के दिन यानी कि 20 जुलाई, 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग और एडविन बज एल्ड्रिन ने दूसरी दुनिया में अपना पहला कदम रखकर इतिहास के पन्नों पर अपना नाम दर्ज कराया था। चांद पर किसी इंसान को पहली बार उतारने के इरादे से शुरू हुआ नासा का मिशन 'अपोलो 11( Mission Apollo 11)' वैसे तो 16 जुलाई, 1969 को लॉन्च किया गया था लेकिन अंतरिक्ष यात्री चांद के सतह पर 20 जुलाई, 1969 को अपना पांव रख पाए थे। चांद पर अपना पहला कदम रखने के बाद नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा, 'यह मनुष्य के लिए भले ही एक छोटा कदम है लेकिन मानव जाति के लिए दूसरी दुनिया में एक बड़ा छलांग है।' नासा ने अपोलो 11 की 50वीं सालगिरह मनाने के लिए देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है।
भाषण देंगे उपराष्ट्रपति
इस मौके पर शनिवार को अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस कैनेडी स्पेस सेंटर में भाषण देने वाले हैं, जहां से आर्मस्ट्रॉन्ग, एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स (दल के तीसरे सदस्य) ने उड़ान भरी थी। बता दें कि 88 वर्षीय माइकल कोलिन्स आये दिन इस मिशन के बारे में लोगों को नई चीज बताते रहते हैं। गुरुवार को एक कार्यक्रम में कोलिन्स ने अपने भाषण में कहा, 'जब हम चांद पर पहुंचने के लिए निकले तो हमारे मन में जरा सा डर था क्योंकि चांद हमारे करीब आ रहा था और धरती से हम दूर जा रहे थे। जब हम वहां पहुंचने के बाद बाहर निकले और चांद को देखा तो बहुत ही अच्छा लगा। सूरज बिलकुल चंद्रमा के पीछे था और सुनहरे रंग का दिखाई दे रहा था। वहां का नजारा और अनुभव दोनों ही अद्भुत था।'
चांद की कक्षा में रुके थे थे कोलिन्स
बता दें कि नील आर्मस्ट्रॉन्ग और एल्ड्रिन चांद के सतह पर थे, जबकि पायलट कोलिन्स चांद की कक्षा में रुके हुए थे। वहां से जमीन पर नासा के साथ संपर्क में थे, उन्हें उनकी स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करते थे। नील आर्मस्ट्रॉन्ग और एडविन बज एल्ड्रिन ने इस मिशन के दौरान चांद पर 382 किलोग्राम मिट्टी और कुछ पत्थर एकत्रित किए और उन्हें धरती पर ले आए, जिनसे हमें ब्रह्मांड को समझने में काफी मदद मिली।
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