नीतिश कुमार ने सरकार बनाने की हुंकार भरते हुए दावा किया कि उनके पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है. भाजपा के इशारे पर तानाशाही वाला रवैया नहीं अपनाया जा सकता. अगर विधायकों का समर्थन किसी प्रस्ताव पर नहीं है, तो उसे वापस लिया जाना चाहिए और उसे दोबारा विचार के बाद ही पेश किया जाना चाहिए. फेसबुक पेज पर नीतीश ने कहा कि रोज-रोज चुनाव नहीं कराया जाना चाहिए. चुनाव समय पर होना चाहिए और सरकार को अपने पुरे टर्म तक चलने देना चाहिए. भाजपा के नेता रोज बयान दे रहे हैं कि विधानसभा भंग करके चुनाव करा देना चाहिए, जिस दिन वे लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश करेंगे, अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारेंगे; इधर, जदयू नेता रमई राम ने कहा कि अगर नीतीश कुमार ने उन्हें उप मुख्यमंत्री का पद सौंपा तो ही शपथ लेंगे, वरना नहीं.
इससे पहले सेटरडे से ही बिहार की सत्ता के लिए दम दिखाने का दौर चलता रहा. जीतन राम मांझी ने कैबिनेट की बैठक बुला विधानसभा भंग करने की सिफारिश की, जिसके समर्थन में सात मंत्री आए और 21 मंत्रियों ने विरोध किया. तो, शाम चार बजे जदयू के नेशनल प्रेसिडेंट शरद यादव ने विधायक दल की बैठक बुलाई, जिसमें जीतन राम को बर्खास्त कर नीतीश कुमार को फिर नेता चुना गया. इस के बाद मांझी ने दोपहर दो बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई और विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव रखा. मांझी समर्थक मंत्रियों ने बिहार में चुनाव की राज्यपाल को सही समय पर अनुशंसा भेजने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया, जबकि नीतीश समर्थक 21 मंत्री इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए बाहर निकल गए.
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