(अनिमेष मुखर्जी) Animal Review: पिछले एक दशक में हिंदी सिनेमा में ऐसी फिल्में कम ही आई हैं, जिनका इंतजार उनके डायरेक्टर के नाम पर किया जा रहा हो. इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्म एनिमल का लोग जोर-शोर से इंतजार कर रहे थे. इसकी वजह रणबीर कपूर से ज्यादा डायरेक्टर संदीप वांगा रेड्डी हैं, जिनकी पिछली फिल्म कबीर सिंह बड़ी हिट रही थी, साथ ही उसने एक बहस भी छेड़ी थी कि हीरो को इस तरह की सोच वाला दिखाना सही है या नहीं।
क्या है Animal Movie की कहानी?
ये कहानी है रणबीर कपूर की जो अपने पापा अनिल कपूर से बहुत प्यार करते हैं. लेकिन पापा रणबीर से उतना प्यार नहीं करते. पापा पर हमला हो जाता है और फिर रणबीर की जिंदगी का मकसद हो जाता है उस कातिल को ढूंढना और इसी मकसद पर ये फिल्म चलती है. कहानी सिंपल लग रही होगी, लेकिन इसमें बहुत सारे ट्विस्ट एंड टर्न आते हैं और ये देखने आपको थिएटर ही जाना होगा. एनिमल के लिए पहले ही कहा गया था कि यह फिल्म वॉयलेंस से भरपूर होगी. फिल्म इस मामले में निराश नहीं करती है. फिल्म का पहला हाफ तो जिस तरह का खून-खराबा दिखाता है, वह इससे पहले किसी मसाला हिंदी फिल्म में शायद ही दिखाया गया हो. ध्यान रहे, हम वॉयलेंस की बात कर रहे हैं, एक्शन की नहीं।
Cast: Ranbir Kapoor, Rashmika Mandanna, Bobby Deol, Anil Kapoor, Triptii Dimri, Shakti Kapoor
Director: Sandeep Reddy Vanga
Rating: 4
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फिल्म की अच्छी बातें
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और म्यूजिक लाजवाब है. खासतौर से एक्शन और चेजिंग सीक्वेंस थिएटर में रोंगटे खड़े करने वाला एक्सपीरियंस पैदा करता है. हिंदी सिनेमा वालों को इससे सबक लेना चाहिए कि बिना रीमिक्स, आइटम नंबर के भी सुपरहिट संगीत दिया जा सकता है. इससे पहले आई साउथ की फिल्म पुष्पा ने जिस तरह का कमाल किया था, वैसा ही कुछ कमाल एनिमल का अर्जन वैली जैसा गाना करने वाला है. इन सबके बाद जो चीज दिल-दिमाग पर छा जाती है, वो है रणबीर कपूर की एक्टिंग. फिल्म पूरी तरह से रणबीर कपूर के कंधों पर टिकी है और वे इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाते हैं।
क्या पसंद नहीं आया?
इंटरवल के बाद फिल्म साउथ इंडिया सिनेमा के अजीबो-गरीब फॉर्मूले वाले रास्ते पर निकल जाती है. जिसका मन होता है, वो प्लास्टिक सर्जरी करा लेता है. लोग भारत से हथियारों की खेप भरकर हवाई जहाज से यूरोप चले जाते हैं. इन सबमें सबसे निराश करता है बॉबी देओल का रोल. नहीं, इसमें लॉर्ड बॉबी की कोई गलती नहीं. डायरेक्टर ने उन्हें जितना रोल दिया उतना ट्रेलर में दिखा दिया. रश्मिका मंदाना के डायलॉग अगर डब कराए जाते तो बेहतर रहता है. फिल्म की लंबाई भी ज़्यादा है, कुछ न करके भी 15-20 मिनट कम की जा सकती थी।
क्यों देखे?
खून-खराबे से भरपूर फिल्म देखने का मन हो।
क्यों न देखें?
खून-खराबे वाली फिल्में पसंद न हों।
वर्डिक् ट
एनिमल एक अच्छी मसाला फिल्म है, इसको लेकर जो शुरुआती जोश लोगों में है, उसके चलते फिल्म हिट भी होगी, अगला पार्ट भी बनेगा. फिर भी फिल्म में एक समस्या है. बेइंतहा वॉयलेंस दिखाने वाली क्लासिक फिल्में जैसे जॉन विक या किल बिल देखें, तो उसमें विलेन बहुत ताकतवर और शातिर होता है. यहां तक कि गैंग्स ऑफ वासेपुर में भी रामाधीर सिंह सरदार खान के पूरे खानदान पर भारी पड़ता है. एनिमल में ऐसा कोई विलन नहीं बन पाया है. बस अच्छी बात ये है कि हवा में उड़ती गाडिय़ां और एक घूंसे में बीस लोगों को गिरा देने वाला कोई सीन नहीं है।
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