अमिताभ ने अपने ट्वीट में लिखा, "क़ादर ख़ान... अच्छे सहयोगी, लेखक, मेरी कई सफल फिल्मों में सहायक.. एक लंबे अंतराल के बाद फिल्मों में वापसी कर रहे हैं।"
क़ादर ख़ान ने साल 2004 में आई फ़िल्म 'मुझसे शादी करोगी' के बाद बीमारी के चलते फ़िल्मों से किनारा कर लिया था लेकिन इस साल की शुरुआत में अर्जुन कपूर अभिनीत फिल्म 'तेवर' की छोटी भूमिका से उन्होंने फ़िल्मों में वापसी की।
और अब अमिताभ के ट्वीट से यह साफ़ हो गया है कि वो बॉलीवुड में लंबे समय तक रहने वाले हैं।
क़ादर ख़ान ने अभिनय के साथ साथ कुली, सत्ते पे सत्ता, ख़ून पसीना, हम, अग्निपथ, कुली नं. 1 और सरफ़रोश जैसी सुपरहिट फ़िल्मों के डायलॉग लिखे हैं।
यहां पेश हैं कादर ख़ान के प्रसिद्ध डायलॉग जो या तो उन्होंने कहे या किसी अभिनेता के मुंह से कहलवाए।
मुक़द्दर का सिकंदर (1978)
फ़कीर बाबा बने कादर ख़ान ज़िंदगी का मर्म अमिताभ को समझाते हैं, "सुख तो बेवफ़ा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है। दुख को अपना ले तब तक़दीर तेरे क़दमों में होगी और तू मुक़द्दर का बादशाह होगा।"
कुली (1983)
अमिताभ के किरदार में जान डालने वाले संवाद कादर ने ही लिखे थे, "बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है 'इक़बाल'।"
हिम्मतवाला (1983)
फिल्म में अमजद ख़ान के हंसोड़ मुंशी का किरदार निभाने वाले क़ादर को इस फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन का फ़िल्मफ़ेयर मिला था। फिल्म में वो कहते हैं, "मालिक मुझे नहीं पता था कि बंदूक लगाए आप मेरे पीछे खड़े हैं। मुझे लगा, मुझे लगा कि कोई जानवर अपने सींग से मेरे पीछे खटबल्लू बना रहा है।"
मिस्टर नटवरलाल (1979)
अमिताभ ने भगवान से बात करते हुए कहा था, "आप हैं किस मर्ज़ की दवा, घर में बैठे रहते हैं, ये शेर मारना मेरा काम है? कोई मवाली स्मग्लर हो तो मारूं मैं शेर क्यों मारूं, मैं तो खिसक रहा हूं और आपमें चमत्कार नहीं है तो आप भी खिसक लो।"
अंगार (1992)
नाना पाटेकर और जैकी श्रॉफ़ की इस फ़िल्म के डायलॉग के लिए क़ादर ख़ान को सर्वश्रेष्ठ संवाद का फ़िल्मफ़ेयर मिला था। इसका एक संवाद है, "ऐसे तोहफ़े (बंदूकें) देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है इन खिलौनों के बल पर नहीं, अपने दम पर।"
सत्ते पे सत्ता (1982)
अमिताभ के शराब पीने वाले सीन को यूट्यूब पर काफ़ी हिट मिले हैं। इसमें वो कहते हैं, "दारू पीता नहीं है अपुन, क्योंकि मालूम है दारू पीने से लीवर ख़राब हो जाता है, लीवर।"
अग्निपथ (1990)
अमिताभ के इस किरदार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला इसमें बड़ा हाथ जानदार संवादों का भी था, जो क़ादर ने ही लिखे थे, "विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है।"
बाप नंबरी बेटा दस नंबरी (1990)
चालाक ठग का किरदार निभाने वाले क़ादर का एक मशहूर सीन, "तुम्हें बख़्शीश कहां से दूं, मेरी ग़रीबी का तो ये हाल है कि किसी फ़कीर की अर्थी को कंधा दूं तो वो उसे अपनी इंसल्ट मान कर अर्थी से कूद जाता है।"
हम (1991)
क़ादर ख़ान का इस फ़िल्म में डबल रोल था और आर्मी कर्नल के किरदार में यह डायलॉग उन्होंने बोले थे, "कहते हैं किसी आदमी की सीरत अगर जाननी हो तो उसकी सूरत नहीं उसके पैरों की तरफ़ देखना चाहिए, उसके कपड़ों को नहीं उसके जूतों की तरफ़ देख लेना चाहिए।"
जुदाई (1997)
अनिल कपूर और श्रीदेवी अभिनीत इस फ़िल्म में परेश रावल सवाल पूछने वाले किरदार बने हैं लेकिन क़ादर ख़ान उन्हें अपनी पहेलियों से छका देते हैं। "इतनी सी हल्दी, सारे घर में मल दी, बताओ किसकी सरकार बनेगी?"
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