1- नरेन्द्र कुमार
आईपीएस नरेन्द्र कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 2009 में बिहार से की थी। इसके बाद उन्हें मध्यप्रदेश के मुरैना जिले का कप्तान बनाया गया था। नरेन्द्र को उनकी तेज तर्रार छवि के लिये जाना जाता है। अवैध खनन रोकने के लिये उन्होंने सी खनन माफिया से टक्कर ली। 2012 में एक खनन माफिया द्वारा ट्रैक्टर से रौंद कर उनकी हत्या करवा दी गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 30 वर्ष थी। उनकी पत्नी ग्वालियर जिले में आईएस ऑफीसर हैं।
2- अजीत डोवाल
1968 बैच के आईपीएस ऑफीसर अजीत डोवाल को कौन नहीं जानता है। वो भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर तैनात है। मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उन्होंने कई गुप्त ऑपरेशन में काम किया और जीत हासिल की। 1971 से 1999 के बीच में 15 इंडियन एयरलाइंस के जहाजो की हाईजैकिंग रोकने में मदद की। वो पाकिस्तान में भी अंडरकवर एजेंट बन कर रहे। जिसके बाद उन्ळोंने इंटेलीजेंस ब्यूरो ज्वाइन किया।
3- बी चंद्रकला
बुलंदशहर की डीएम बी चंद्रकाला को उनकी तेज तर्रार और साफ सुथरी छवि के लिये जाना जाता है। वो हमेशा भ्रष्ट ऑफीसरों के खिलाफ बोलती नजर आती हैं। हाल ही में हुई एक पोस्टिंग के दौरान जब उन्होंने कोई भी गैरकानूनी काम करने से मना कर दिया तो उनका ट्रांसफर कर दिया गया। जिले का विकास हो या अपने ऑफिस की सफाई का काम वो हर जगह एक्टिव नजर आती हैं। बुलंदशहर में उन्होंने महिला सशक्तीकरण के लिये बहुत काम किये।
4- सतेन्द्र दुबे
आईईएस सतेन्द्र दुबे का नाम उन ऑफीसर्स में लिया जाता है जो आपने काम के प्रति हमेशा समर्पित रहते हैं। सतेन्द्र दुबे इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस के जरये प्रशासनिक सेवा में कदम रखा था। वो नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया के गोल्डन चतुर्भुज परियोजना के प्रोजेक्ट डॉयरेक्ट थे। उन्होंने कई भ्रष्ट लोगों का पर्दाफाश किया। उन्होंने कई सड़कों का भी निर्माण करवाया। उन्होंने एनएचएआई के प्रोजेक्टों में हो रहे घपले के लिये पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को पत्र भी लिखा। जिसके बाद उनकी हत्या की दी गई थी।
5- आर्मस्ट्रांग पैम
आर्मस्ट्रांग पैम जेमे जनजाति के नागा लोगों में से बनने वाले पहले आईएएस ऑफीसर हैं। यूपी के मैनपुरी जिले में उनके काम को लेकर उन्हें आईएएस अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने मैनपुरी के रिमोट एरिया में बिना किसी सरकारी सहायता के 100 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करवाया। जिससे वहां के गांव वालों को बहुत फायदा हुआ। लोग उनके साथ जुडे़ और उनका साथ दिया। उस रोड को पीपल्स रोड के नाम से जाना जाता है। गांव के लोग उन्हें मिरिकल मैन के नाम से बुलाते हैं।
6- सहनमुगम मंजुनाथ
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में मंजुनाथ सेल्स मैनेजर के तौर पर काम करते थे। उन्होंने मिलावटी तेल बेचनों को लेकर बहुत अभियान चलाये। उनके व्यक्त्वि और साहस ने उन्हें भारत का सबसे बेहतर कमांडिग ऑफीसर बनाया। उनकी ईमानदारी उनके लिये हथियार थी। लखनऊ के दो पैट्रोल पंप को सील करने के लिये उन्होंने रेड डाली। उसी रात उनकी गोलीमार कर हत्या कर दी गई। उनकी बॉडी उनकी ही कार की बैक सीट पर मिली। उनके शरीर में छह गोलियां लगी थीं।
7- शिवदीप वामन लैंडे
शिवदीप अक्सी अपने कामों के लिये सुर्खियों में छाये रहते थे। 2006 बैच के आईपीएस ऑफीसर शिवदीप ने कई खतरनाक मुजरिमों को पकड़। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किये। उनके कार्यकाल में पटना का क्राईमरेट गिरकर काफी नीचे चला गया था। छेड़खानी करने वालों के खिलाफ वो सख्त कार्रवाई किया करते थे। वो कहते थे कि उन्हें 100 से अधिक मैसेज रोज आते हैं और वो सभी मैसेज का रिप्लाई देने के साथ कार्रवाई करते थे। जब उनका पटना से ट्रांसफर हुई तो लोग उनके लिये सड़कों पर उतर आये थे।
8- यू सागायम
यू सागायम का नाम उनके ट्रांसफर के लिये फेमस है। भ्रष्टाचार से लड़ाई के चलते 20 सालों में 20 से अधिक बार उनका ट्रांसफर किया गया। वो पहले ऐसे आईएएस ऑफीसर थे जिन्होंने अपनी संपत्ति को सार्वजनिक किया था। मदुरई में अवैध कामो के चलते उन्होंने कई नाताओं और व्यपारियों के खिलाफ कार्रवाई की। उन्होंने 5000 घरेलू सिलेंडर जिनका व्यापार के लिये प्रयोग हो रहा था उसकी सब्सिडी का घपला उजागर किया। उन्होंने वोट खरीदने के खिलाफ भी अपनी आवाज बुलंद की।
9- वी वी लक्ष्मीनारायण
वी वी लक्ष्मीनारायण एक आम इंसान की तरह काम किया करते थे। काम के दौरान उन्होंने कभी एक अधिकारी के रुतबे को नहीं आने दिया। वो बस से अपने ऑफिस जाते थे। उन्होंने कई भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें एक्सपोज किया। इसके बाद उन्हें सीबीआई का ज्वाइंट डॉयरेक्टर बना दिया गया। उन्होंने 19 हाईप्रोफाइल मामलों का भांड़ा फोड़ा। उनका नाम जगमोहन रेड्डी को हिरासत में लेने के लिये भी जाना जाता है।
10- एस आर शंकररन
एसआर शंकरन को जनता के आईएएस ऑफीसर के रूप में जाना जाता है। उन्होंने गरीबों के लिये कई तरह की पॉलिसी बनाई। लोग उन्हें गरीबों का मसीहा कह कर बुलाते थे। उन्होंने कभी शादी नहीं की। इतना ही नहीं उन्होंने पांच सौ गरीब बच्चों को पढ़ाया। अपनी तनख्वाह भी वो गरीबों में बांट दिया करते थे। 2010 में वो हम सभी को छोड़ कर चले गये पर उनके द्वारा किये गये कामों के चलते उन्हें हमेशा याद किया जायेगा।
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