राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव एके बसु, खान निदेशक विपिन बिहारी सिंह, अफ़सर बीके भट्टाचार्य और केंद्रीय कोयला सचिव एचसी गुप्ता भी इस मामले मे दोषी ठहराए गए हैं।
इन सब पर इल्ज़ाम है कि साल 2007 में हुए कोयला घोटाले के वक़्त इन लोगों ने अपने पदों का दुरुपयोग किया था।
इस मामले में बरी किए गए वैभव तुलसियान के वकील एन हरिहरन ने मीडिया को बताया कि 14 दिसंबर को उनकी सज़ा पर बहस होगी, जिसके बाद मधु कोड़ा और बाक़ी अभियुक्तों की सज़ा का एलान किया जाएगा।
क्या है मामला?
इनके ख़िलाफ़ बहुचर्चित कोयला घोटाले में कोलकाता की कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (विसुल) को ग़लत तरीक़े से राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक आवंटित करने का आरोप है। राजहरा झारखंड के पलामू में है।
वरिष्ठ पत्रकार मधुकर ने बीबीसी को बताया कि नॉर्थ कोल ब्लॉक विसुल को आवंटित करने के लिए सरकार और इस्पात मंत्रालय ने कोई अनुशंसा नहीं की थी।
तब तत्कालीन कोयला सचिव एचसी गुप्ता और झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु की सदस्यता वाली 36वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने अपने स्तर पर ही इस ब्लॉक को आवंटित करने की सिफ़ारिश कर दी।
इसी को आधार बनाकर तत्कालीन मधु कोड़ा सरकार ने यह कोयला खदान विसुल को आवंटित कर दी।
मधुकर बताते हैं कि साल 2007 में हुए इस आवंटन के बदले अरबों रुपये की रिश्वतखोरी और हेरफ़ेर का आरोप लगाया गया।
आरोप है कि स्क्रीनिंग कमेटी ने इस मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी अंधेरे में रखा। तब कोयला मंत्रालय का प्रभार भी प्रधानमंत्री के ही पास था। लिहाज़ा उन्हें इसकी जानकारी देनी चाहिए थी।
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हो सकती है उम्र कैद
इस मामले में पक्के सबूत मिलने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने 9 अक्टूबर 2009 को मधु कोड़ा और दूसरे अभियुक्तों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कराई।
इसके कुछ ही दिन बाद 6 नवंबर को मधु कोड़ा के आवास पर छापा मारा गया।
वहां से मिले दस्तावेज़ों की जांच के बाद 30 नवंबर को मधु कोड़ा गिरफ़्तार कर लिए गए। इसके बाद वे रांची के बिरसा मुंडा कारागार और तिहाड़ जेल में बंद रहे।
18 फरवरी 2015 को अदालत ने उन्हें ज़मानत दे दी। इन दिनों वे ज़मानत पर हैं, लेकिन सजा सुनाए जाने के वक़्त उन्हें कोर्ट मे मौजूद रहने के लिए कहा गया था।
मधु कोड़ा और उनके साथी अभियुक्तों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 120-बी, 420 और 409 के तहत आरोप सिद्ध हुए हैं।
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झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता दीपक भारती ने बीबीसी को बताया कि इन धाराओं में उम्र क़ैद तक का प्रावधान है।
इसके साथ ही अदालत उन पर जुर्माना भी लगा सकता है। लेकिन यह पूरी तरह से कोर्ट के ऊपर निर्भर करता है कि वह इनके लिए क्या सज़ा देगी।
हालांकि जेल में काटी गई अवधि को सज़ा से घटा दिया जाना लगभग तय है।
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ''यह कोई मिठाई बांटने की ख़बर नहीं है। कोर्ट अपना काम कर रहा है। मैं उनके फ़ैसले का सम्मान करता हूं।''
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उतार-चढ़ाव भरा रहा कोड़ा का करियर
मधु कोड़ा 14 सितंबर 2006 को झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे। तब वे किसी भी दल से जुड़े हुए नहीं थे। भाजपा से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता था।
वे 23 अगस्त 2008 तक इस पद पर रहे। वे देश के तीसरे ऐसे मुख्यमंत्री बने जो निर्दलीय थे। साल 2009 में उन्होंने संसद का चुनाव भी लड़ा। इसमें उन्हें जीत हासिल हुई।
इससे पहले वे बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा सरकारों में मंत्री रह चुके थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत छात्र नेता के तौर पर की थी।
अभी उनकी पत्नी गीता कोड़ा झारखंड विधानसभा की सदस्य हैं और कई मौक़ों पर उन्होंने झारखंड में सत्तासीन भाजपा सरकार के पक्ष में वोट दिया है।
चुनाव आयोग ने इसी साल अपने एक फ़ैसले में उन्हें चुनाव लड़ने के लिए तीन साल तक अयोग्य करार दिया था।
उन पर चुनाव प्रचार का हिसाब सही तरीक़े से नहीं देने का आरोप था।
अब अगर उन्हें तीन साल से ज़्यादा की सज़ा होती है तो वे चुनाव लड़ने के लिए आजीवन अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे।
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