Akshaya Tritiya 2020 : अक्षय तृतीया पर दान का अपना एक विशेष महत्व है। इस दिन लोग गहनों की खरीदारी करना शुभ मानते हैं। इस दिन सभी अपने- अपने घरों में कलश पूजन भी करते हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि इस दिन कलश पूजन करने से वर्ष भर संकट आपसे दूर रहते हैं। भारतीय ज्योतिष में कलश का मुख प्रथम भाव व तल मृतिका सप्तम भाव का माना जाता है। इस दिन कलश पूजन का महत्व और इसे करना क्यों जरुरी है, यहां जानें।

क्या है कलश पूजन का महत्व

अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन करने का विशेष महत्व हो इसलिए है क्योंकि सूर्य मेष राशि पर और चंद्र वृष राशि पर होता है। इस बार चार ग्रह उच्च के हो रहे हैं तो इस बार का कलश पूजन अत्यंत प्रभावशाली होगा और कष्टों को दूर करेगा। अक्षय तृतीया पर कलश पूजन का विशेष महत्व होता है क्योंकि तिथि के अनुसार पुराणों में इस दिन से कलश को जोड़ा गया है। बिना कलश के इस दिन की पूजा अधूरी मानी जाती है।

कलश स्थापना के पीछे हैं ये 5 पौराणिक कहानियां

कलश अक्षय तृतीया पर संकल्प का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण की वजह से द्रौपदी को अक्षय कलश की प्राप्ति हुई थी। मान्यता है कि भगवन कृष्ण के पदचिन्हों में कलश की आकृति उभरती थी। इसलिए आज भी वृंदावन में इस तिथि पर वहां पादुका के दर्शन होते हैं। इसी दिन सागर मंथन की शुरुआत भी हुई थी। उसमें में निकलने वाला अमृत कलश पात्र में ही भरा था। कहते हैं कि एक कलश में 33 हजार करोड़ देवी- देविताओं का वास होता है। राजा जनक को माता सीता हल जोतते वक्त कलश में मिली थीं। यह भी अक्षय तृतीया तिथि को ही हुआ था।

इस प्रकार करें कलश स्थापना

कलश में पानी भरें फिर उसे आम के पत्तों से सजाएं। आम का हरा पत्ता प्रसन्नता का प्रतीक माना गया है। इसी तरह इसके ऊपर रखे ढक्कन में भरा हुआ अनाज धन- धान्य का प्रतीक होता है। इसमें सजा हुआ स्वास्तिक कल्याण व ऊर्जा का संदेश देता है। तो इस तरह घर पर कलश स्थापना कर विधि- विधान से करें पूजन।

- ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडेय