संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत में इस दिन व्रत रखने वालों को स्नान आदि करके होकर साफ कपड़े पहने। तत्पश्चात दाहिने हाथ में पुष्प, अक्षत, गंध और जल लेकर संकल्प लेकर विद्या, धन, पुत्र, पौत्र प्राप्ति, समस्त रोगों से छुटकारा और जिंदगी के सारे संकटों से छुटकारे के लिए गणेश जी की प्रसन्नता के लिए संकष्ट चतुर्थी व्रत रखा जाता है।
यह भोग लगाएं
गणेश पूजन के दौरान पूजन में हो सके तो 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। विधि अनुसार हो तो 5 लड्डू गणपति के लिए चढ़ा कर शेष ब्राह्मणों और भक्तों में बांट दें। उनकी प्रार्थना कर आप फूल और दक्षिणा समेत पांच लड्डुओं को गणेश जी पर चढ़ाते हुए मांग सकते हैं कि मेरी आपत्तियां दूर करने के लिए इन्हें स्वीकार करें।
व्रत कथा
सतयुग में नल नामक एक राजा था,जिसकी दमयंती नामक रूपवती पत्नी थी,जब राजा नल पर विकट संकट आया और उनका घर आग में जल गया अपना सब कुछ खोने के बाद अंत में राजा को पत्नी के साथ जगह जगह भटकना पड़ा।इन सब मे राजा अपनी पत्नी पुत्र से भी अलग हो गया।इस प्रकार कष्ट पाते हुए रानी दमयंती शरभंग ऋषि की कुटिया में पहुंची और अपनी दुख भरी कथा सुनाई इस पर ऋषि ने उन्हें चतुर्थी व्रत का महात्म्य और विधि-विधान समझाया।
-ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा।
बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली।
सूर्य का धनु राशि में प्रवेश, 15 दिसंबर से 13 जनवरी तक सभी शुभ कार्य वर्जित