कानपुर। पूर्व भारतीय क्रिकेटर अजित वाडेकर को 70-80 के दशक में टीम इंडिया का बेस्ट कप्तान माना जाता था। हालांकि वाडेकर ने कप्तानी बहुत कम मैचों में की, मगर थोड़े समय में ही वह क्रिकेट इतिहास में अपना नाम दर्ज करा गए। इंग्लैंड जैसी टीम के खिलाफ उन्हीं के घर पर जीतना आसान काम नहीं था। भारत ने इसके लिए सालों इंतजार किया तब जाकर वाडेकर कप्तानी में भारत के पास वो मौका आया जब उन्होंने अंग्रेजों को उन्हीं के घर पर पहली बार हराया।
1971 में मिली थी वो जीत
ईएसपीएन क्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत 1932 में हुई थी। भारतीय टीम एक टेस्ट मैच की सीरीज खेलने इंग्लैंड दौरे पर गई थी। तब भारत के पहले टेस्ट कप्तान सीके नायडू ने इस मैच में टीम इंडिया की कमान संभाली थी। हालांकि भारत यह मैच हार गया था मगर पहली जीत के लिए टीम इंडिया को तकरीबन 40 साल लंबा इंतजार करना पड़ा। 1971 में अजित वाडेकर की अगुआई में भारत ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेली। पहले दो मैच ड्रा रहने के बाद भारत के पास आखिरी मैच जीतकर इतिहास रचने का मौका था। भारत के पहले वनडे कप्तान भी रहे अजित वाडेकर ने इस टेस्ट मैच को हाथ से नहीं जाने दिया। ओवल में खेला गया यह मैच भारत 4 विकेट से जीत गया इसी के साथ तीन मैचों की टेस्ट सीरीज 1-0 से अपने नाम की।
टीम इंडिया के पहले वनडे कप्तान
आठ साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में बायें हाथ के बल्लेबाज वाडेकर ने कुल 37 टेस्ट मैच खेले। 1971 से 1974 के दौरान उन्होंने 16 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की, जिसमें से चार मैच जीते, चार हारे, जबकि आठ मैच ड्रॉ रहे। वह दो वनडे मैच भी खेले और दोनों में उन्होंने भारतीय टीम की कमान संभाली। वनडे क्रिकेट में वह भारतीय टीम के पहले कप्तान थे। वनडे कप्तान के रूप में उन्हें दोनों मैचों में हार का सामना करना पड़ा।
इंटरनेशनल क्रिकेट में लगाया सिर्फ एक शतक
वाडेकर कुशल क्षेत्ररक्षक भी थे। स्लिप में खड़े वाडेकर के पास से गेंद निकाल पाना काफी मुश्किल होता था। उन्होंने टेस्ट में 46, वनडे में एक और प्रथम श्रेणी करियर में 271 कैच लपके। टेस्ट करियर में उन्होंने एकमात्र शतक न्यूजीलैंड के खिलाफ 1968 में वेलिंगटन में लगाया। इस टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 143 रन बनाए थे। भारत ने यह टेस्ट आठ विकेट से जीता था। वाडेकर चार बार नर्वस नाइंटीज का भी शिकार बने, जिसमें एक बार वह 99 रन पर आउट हुए थे। रणजी ट्रॉफी में 17 वर्षो के करियर में उन्होंने 73 मैचों में कुल 4288 रन बनाए जिनमें उनका औसत 57.94 था। उन्होंने 1966-67 में मैसूर के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में 323 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाया। उन्होंने 18 दलीप ट्रॉफी मैच खेले, छह में वह पश्चिम क्षेत्र के कप्तान रहे।
इंग्लैंड में भारत ने कब जीती थी पहली टेस्ट सीरीज, याद है आपको
टीम इंडिया के पहले वनडे कप्तान अजित वाडेकर का 77 साल की उम्र में निधन
Cricket News inextlive from Cricket News Desk