भारत के इस सर्जिकल ऑपरेशन के पीछे अजीत डोभाल की भूमिका काफी अहम थी। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि डोभाल आईबी के एक जाबांज ऑफिसर रह चुके हैं। केरल कैडर के 1968 बैच के आईपीएल अजीत डोभाल ने साल 1972 में भारतीय खुफिया एजेंसी आईबी ज्वॉइन की थी। डोभाल पहले भी ऐसे ही कई खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम दे चुके हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर आसीन डोभाल ने पूरी प्लॉनिंग के साथ इस ऑपरेशन का खाका तैयार किया और दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया।
Pok में सर्जिकल स्ट्राइक से पहले डोभाल ने पूर्वोत्तर भारत में भी ऐसे ही एक ऑपरेशन को अंजाम दिया था। कुछ महीनों पहले भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन के मास्टइमाइंड भी डोभाल थे। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों के सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए थे।
अजीत डोभाल की वीरता और जाबांजी के कई किस्से हैं। बताया जाता है कि डोभाल करीब सात साल तक पाकिस्तान में मुसलमान के भेष में जासूस बनकर रहे। यही नहीं भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई। इस दौरान डोभाल एक रिक्शा वाला बनकर जासूसी किया करते थे। जिसकी मदद से यह सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका।
साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था। उस समय डोभाल को भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। इसके अलावा कश्मीर में भी डोभाल ने कई काम किए हैं। डोभाल ने उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
अस्सी के दशक में डोभाल उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी। लेकिन तब डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपना पड़ा था।
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