मुंबई (पीटीआई)। Sahara India Refund Process: सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने गुरुवार को कहा कि समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय के निधन के बाद भी सहारा का रिफंड मामला सेबी के अधीन पहले की तरह जारी रहेगा। बता दें कि सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को मुंबई में निधन हो गया था। जिसके बाद से कंपनी निवेशकों में चिंता का माहौल है। फिक्की के एक कार्यक्रम के बाद सेबी चीफ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सेबी के लिए सहारा मामला एक कंपनी के कामकाज से जुड़ा है और यह जारी रहेगा, भले ही इसमें मुख्‍य व्‍यक्ति हो या नहीं।

बहुत कम रिफंड होने के सवाल पर क्‍या बोलीं सेबी चीफ
मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि अब तक रिफंड बहुत कम क्यों है, बुच ने कहा कि पैसा निवेशकों द्वारा किए गए क्‍लेम के सबूतों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के माध्यम से वापस किया जा रहा है। उनके मुताबिक निवेशकों को केवल 138 करोड़ रुपये का रिफंड किया गया है, जबकि सहारा समूह को निवेशकों को आगे रिफंड के लिए सेबी के पास 24,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा करने को कहा गया था। आपको याद दिला दें कि सहारा समूह पर पोंजी स्कीम चलाने समेत कई आरोप लगे हैं। सुब्रत रॉय के लिए परेशानियां नवंबर 2010 में शुरू हुईं, जब सेबी ने सहारा समूह की दो संस्थाओं को इक्विटी बाजारों से धन नहीं जुटाने और निवेशकों को सेक्‍योरिटी लेटर जारी करने से रोकने का आदेश दिया था, जबकि रॉय को आम लोगों से धन जुटाने से रोक दिया गया था। रॉय को 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि वह अपनी दो कंपनियों द्वारा निवेशकों को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम वापस न करने से संबंधित अवमानना मामले में अदालत के सामने पेश नहीं हुए थे। बाद में उन्हें जमानत मिल गई लेकिन उनकी अन्‍य कंपनियों के लिए परेशानियां जारी रहीं।

अपनी दो कंपनियों के कारण सहारा ग्रुप फंसा सेबी के शिकंजे में
सहारा समूह की दो कंपनियों, सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन (एसआईआरईसीए) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन -ने 2007-08 में डिबेंचर इंस्ट्रूमेंट, ओएफसीडी के माध्यम से आम लोगों से धन जुटाया था। जून 2011 में, पूंजी बाजार नियामक सेबी ने दोनों संस्थाओं को उचित लाभ के साथ निवेशकों से जुटाया पैसा उन्‍हें लौटाने का आदेश दिया था। अपील और क्रॉस-अपील की लंबी प्रक्रिया के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में अपने निवेशकों की जमा राशि 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया। आखिरकार सहारा को निवेशकों को आगे रिफंड के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा गया, हालांकि सहारा ग्रुप ने हमेशा कहा ह कि यह दोहरा भुगतान था क्योंकि वह पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को पैसा सीधे ही वापस कर चुका था।

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