पेपर दिख रहा

एक्स-रे विद्युत चुम्बकीय विकिरण का एक रूप है। इसकी खोज जर्मनी के एक सनकी भौतिक विज्ञानी विलहम रोएंटगन ने की थी। वह एक बार कैथोडिक रेज ट्यूब का अविष्कार कर रहे थ्ो। इस दौरान जब वह कैथोड किरणों के बंद होने पर कुछ लाइट चमक रही थी। उन लाइट की वजहों से वहां पर अपारदर्शी कवर के नीचे बिछा पेपर साफ दिख रहा है।

कैथोडिक रेज ट्यूब के अविष्‍कार में इस वैज्ञानिक ने कर डाली एक्‍स-रे की खोज

हड्डियां देखीं

यह देख वह शॉक्ड हो गए और उन्होंने उन लाइट को अपने शरीर की ओर भी ट्राई किया। जिससे उनके शरीर की हड्डियां साफ दिखाई दे रही थीं। जिसके बाद इस वह दिशा में गहराई से सोचने लगे। उन्हें अहसास हो गया कि अगर इन एक्स-रे पर काम किया जाए तो कुछ नया हो सकता है। 1890 में वह इस मिशन में दिन रात काम करने लगे।

कैथोडिक रेज ट्यूब के अविष्‍कार में इस वैज्ञानिक ने कर डाली एक्‍स-रे की खोज

सफलता मिली

विलहम रोएंटगन नीदरलैंड में मास्ट्रिच विश्वविद्यालय के मेडिकल सेंटर में एक्स-रे पर कई शोध किए। लगातार प्रयास के बाद उन्हें 1895 में पहली बार इस दिशा में सफलता भी मिली। विलहम रोएंटगन ने कैथोड की किरणों के बुझने के बाद दिखने वाली इन लाइट्स को एक्स-रे नाम दिया था। इसके बाद उनका बनाया यह एक्सरे पूरी दुनिया में छा गया।

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नोबेल पुरस्कार मिला

फिजिक्स के इस अविष्कार को 1901 में पहला नोबेल पुरस्कार मिला था। इसके बाद अब तक उनके अविष्कार किए गए एक्स-रे में काफी बदलावहो चुके हैं। समय के साथ आज एक्स-रे काफी डिजिटल होते जा रहे हैं। आज पूरी दुनिया में मनुष्य शरीर के आंतरिक हिस्सों में देखने के लिए एक्स-रे का इस्तेमाल किया जाता है।

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