इसमें मनीष सिसौदिया ने कहा कि केजरीवाल कुछ साल तक दिल्ली की ही राजनीति करना चाहते थे और सभी उनके लोकसभा चुनाव लड़ने के ख़िलाफ़ थे, लेकिन योगेंद्र यादव ने लोकसभा चुनाव लड़ने पर ज़ोर दिया और नतीजा सबके सामने है.
पार्टी में चिट्ठियों की अंदरूनी लड़ाई के बावजूद पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के प्रति यह धारणा कि वह एक तानाशाह हैं, अब भी दब नहीं रही है.
हालांकि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने शुक्रवार को पार्टी की राष्ट्रीय कारिणी की बैठक के बाद कहा कि अगर पार्टी के दो नेता एक दूसरे को मेल लिख रहे हैं, तो ये लोकतांत्रिक संगठन के लिए अपराध नहीं है.
उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है, इसीलिए एक साथी दूसरे साथी से मतभेद रख सकता है."
वहीं योगेंद्र यादव ने कहा है कि उन्हें जो कहना है कि वो पार्टी के अंदर कहेंगे और मीडिया से इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे.
'आंतरिक लोकतंत्र नहीं'
"यह संभव ही नहीं है कि संयोजक अपनी मनमानी करे या तानाशाही करे. ये बात सही है कि कुछ लोगों ने बहुत तल्ख़ अंदाज में यह बात कही कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है और इसीलिए हम लोगों ने उस बारे में काफ़ी चिंतन और मंथन किया."
-आशुतोष, आम आदमी पार्टी के नेता
हाल ही में आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने कहा था, "मैं अरविंद केजरीवाल को अभी से नहीं बल्कि जब मैं पार्टी में नहीं आया था तबसे जानता हूँ. हमारी पार्टी का जो ढांचा है, उसमें सबसे पॉवरफुल बॉडी राष्ट्रीय कार्यकारिणी होती है. इसका चुनाव पीएसी करती है और पीएसी का सदस्य ही संयोजक होता है. संयोजक पीएसी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए गए फ़ैसलों को लागू करता है."
तानाशाही के बारे में उन्होंने कहा था, "यह संभव ही नहीं है कि संयोजक अपनी मनमानी करे या तानाशाही करे. ये बात सही है कि कुछ लोगों ने बहुत तल्ख़ अंदाज में यह बात कही कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है और इसीलिए हम लोगों ने उस बारे में काफ़ी चिंतन और मंथन किया."
आशुतोष का कहना है कि केजरीवाल तानाशाह नहीं हैं और पार्टी की ख़ामियों पर चिंतन जारी है. लेकिन शुक्रवार को आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले ही पार्टी के अंदरूनी झगड़े अब सामने आ गए हैं.
मनीष सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में आरोप लगाया है कि योगेंद्र यादव चिट्ठियों की राजनीति कर रहे हैं और ऐसा करके वह क्या पार्टी ख़त्म करना चाहते हैं.
मनीष सिसोदिया ने यह चिट्ठी योगेंद्र यादव की उस चिट्ठी के जवाब में लिखी है जिसमें यादव ने लिखा था कि आम आदमी पार्टी व्यक्तिवाद का शिकार हो चुकी है.
आम आदमी पार्टी में सारे फ़ैसले एक ही व्यक्ति को ध्यान में रखकर लिए जा रहे हैं. तो अब इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि आम आदमी पार्टी संकट में है.
पहले शाजिया इल्मी ने पार्टी छोड़ी, इसके बाद कैप्टन गोपीनाथ ने, फिर योगेंद्र यादव ने पार्टी की राजनीतिक मामलों की कमेटी से इस्तीफ़ा दे दिया और अब पार्टी के बड़े नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाने की सियासत कर रहे हैं.
ऐसा लगता है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है.
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