बॉलीवुड को इस फ़िल्म से बड़ी उम्मीदें थीं, क्योंकि उस वक़्त आमिर ख़ान युवा वर्ग के चहेते कलाकार थे और शेखर कपूर का भी बतौर निर्देशक काफ़ी सम्मान था. लेकिन वो फ़िल्म वित्तीय मुश्किलों की वजह से बन ही नहीं पाई. और इसका आमिर ख़ान को आज भी अफ़सोस है.
मीडिया से मुख़ातिब आमिर ने कहा, "काश टाइम मशीन बन पाती. मेरी तमन्ना थी कि वो फ़िल्म बनकर लोगों के सामने आए. लेकिन ऐसा हो ना सका. अफ़सोस है इस बात का."
फ़िल्में ठुकराने का अफ़सोस नहीं
अपने 25 साल लंबे फ़िल्मी करियर में आमिर ख़ान ने 'डर' और 'साजन' जैसी कई फ़िल्में ठुकराईं. इनमें से कई फ़िल्में ज़बरदस्त कामयाब भी रहीं. क्या कभी उन्हें इस बात का अफ़सोस हुआ ?
आमिर बोले, "नहीं, फ़िल्में ठुकराने का तो कोई ग़म नहीं. भले ही वो हिट रही हों, क्योंकि अगर मुझे उन फ़िल्मों की कहानी में यक़ीन नहीं था तो फिर मैं उनमें मन मार कर काम करता भी तो फ़िल्मों का नुक़सान ही होता." "दूसरे स्टार्स के साथ वो फ़िल्में हिट रहीं लेकिन मैं करता तो शायद फ़्लॉप हो जातीं."
'लगान' पर डॉक्यूमेंट्री
आमिर ख़ान अपनी डॉक्यूमेंट्री 'चले चलो' के लॉन्च पर मीडिया से बात कर रहे थे. ये डॉक्यूमेंट्री आमिर की बहुचर्चित और सुपरहिट फ़िल्म 'लगान' की मेकिंग पर आधारित है और रविवार को एक टीवी चैनल पर इसका प्रसारण हुआ.
आमिर बोले, "ये डॉक्यूमेंट्री कभी रिलीज़ नहीं हुई लेकिन मेरी तमन्ना थी कि लोग इसे देखें. लगान में काम करना इसकी पूरी टीम के लिए ऐतिहासिक अनुभव था. हम चाहते थे कि वो अनुभव दर्शकों के सामने आए."
आमिर ने माना कि भारत में डॉक्यूमेंट्री देखने का ज़्यादा रिवाज़ नहीं है और आम दर्शक इससे दूर ही रहते हैं. उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि लोगों का ये मिज़ाज बदले. लोग डॉक्यूमेंट्री भी देखें. दुनिया के कई मुल्कों में लोग बड़े चाव से डॉक्यूमेंट्री देखते हैं."
हिंदी फ़िल्मों के इतिहास की वो कौन सी फ़िल्म है जिस पर बनी डॉक्यूमेंट्री वो देखना चाहेंगे, आमिर ख़ान ने जवाब दिया, मुग़ले-आज़म. फ़िलहाल आमिर ख़ान अपने टीवी शो 'सत्यमेव जयते' के अगले संस्करण को लेकर व्यस्त हैं. इसके अलावा वो इस साल के अंत में राजकुमार हीरानी की फ़िल्म 'पीके' में दिखेंगे.
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