जोश से भरा झुर्रियों वाला चेहरा

जिस देश के युवाओं में राजनीति का भविष्य देखा जा रहा है उस उम्र में एक 86 साल की बुज़ुर्ग महिला का राजनीति में आना एक बड़ी अचरज भरी बात है। पटना से लगभग साठ किलोमीटर दूर स्थित मसौढ़ी अनुमंडल की रहने वाली बुजुर्ग महिला कुलबदन इन दिनों काफी चर्चा में हैं। वह इस समय दस गांव वाली बेर्रा पंचायत की कमान एक मुखिया के रूप में संभाल रही हैं। इसके लिए खुद युवाओं ने उन्हें चुना है। अम्मा कुलबदन का झुर्रियों वाला चेहरा काफी जोश से भरा है। लाठी का सहारा लेकर चलने वाली ये बजुर्ग महिला हर पंचायत में शामिल होती हैं। इतना ही नहीं हर मामले में वह अपने फैसले भी सुनाती हैं। वहीं गांव वालों का कहना है कि वह काफी सुलझी हुई महिला है। वह हर मामले में काफी सोचसमझ कर फैसला सुनाती हैं।

विरोधी भी तारीफ करने लगे

ऐसे में अब इस बुजुर्ग मुखिया से सभी ग्रामीण बहुत सारी उम्मीदें लगाए हुए हैं। पंचायत के कामों में उनकी बुजुर्गियत आड़े नहीं आती है। जिन युवाओं ने उन्हें वोट दिया था वह भी अब अम्मा के कामों से काफी खुश हैं। सबसे खास बात तो यह है कि जो लोग अभी तक अम्मा का  विरोध कर रहे थे अब वह भी उनकी तारीफ कर रहे हैं। बताते चलें कि बिहार में इसी साल मई में पंचायतों के चुनाव हुए हैं। जिसमें 8405 में जीते प्रत्याशियों में कुलबदलन देवी भी शामिल हैं। उन्होंने इस चुनाव में लगभग तीस साल की युवा प्रत्याशी नाज़मी परवीन को हराया। पांचवीं कक्षा तक पढी कुलबदन आज अपने बहू, बेटा और पोता साथ रहती हैं। कुलबदन का कहना है कि वह उम्र को बोझ नहीं मानती हैं। वह गांव वालों के लिए कुछ करना चाहती है।

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