वैशाली, दुनिया का पहला गणतंत्र, वैशाली भगवान महावीर की जन्मभूमि, वैशाली जहां भगवान बुद्ध ने महापरिर्निवाण से पहले अपना अंतिम उपदेश दिया और जहां उनकी अस्थियों का एक अंश सुरक्षित रखा गया. चलिए देखें कैसी है आज की वैशाली
कहते हैं वैशाली को उसका नाम राजा विशाल से मिला है.
राजा विशाल के किले के भग्नावशेष आज भी देखे जा सकते हैं.
बौना पोखर के पास स्थित जैन मंदिर. भगवान महावीर का जन्म वैशाली के कुंडलग्राम में हुआ था जहां वह 22 वर्ष की उम्र तक रहे.
दुनिया के पहले गणतंत्र की सड़क पर अगले पड़ाव की ओर
अभी रास्ता लंबा है
हम पहुंच गए हैं पुरातत्व संग्रहालय जहां दुनिया के प्राचीनतम गणतंत्र के परुावशेष देखे जा सकते हैं
महापरिर्निवाण के पश्चात भगवान बुद्ध की अस्थियों का एक अंश यहीं सुरक्षित रखा गया.
वैशाली ही वह जगह है जहां भगवान बुद्ध ने अपना आखिरी उपदेश दिश.
वैशाली के बाजार में चहलकदमी करते सैलानी. यहां साउथ ईस्ट एशिया से हर साल बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं.
वैशाली में भगवान बुद्ध ने अपना ज्यादा समय कुष्टाग्रशाला विहार में बिताया. यहीं पर आनंद स्तूप व अशोक स्तंभ भी है.
यहां आज भी बुद्ध्ं शरणं गच्छामि का स्वर गूंजता है.
अभिषेक पुष्करणी कहते हैं कि चुने जाने के बाद दुनिया के पहले गणतंत्र के प्रतिनिधियों को इसमें स्नान करना होता था. यहीं पास ही विश्व शांति स्तूप है.
इतिहास की न सही वर्तमान की तो तस्वीर ली ही जा सकती है. तस्वीर जो इतिहास बनकर उसकी याद दिलाती रहेगी.
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