सांप काटना आम बात
बिहार के समस्तीपुर इलाके में सिंधिया घाट नाम का एक गांव काफी चर्चित है। इस गांव में सांप का काटना आम बात है क्योंकि यहां सांप के डसने से किसी भी इंसान की मौत नहीं होती। स्थानीय लोगों की मानें तो उनके ऊपर मां भगवती का आशीर्वाद है। ऐसे में उन्हें कोई सांप काटता है तो कोई असर नहीं होता। यहां पर नागपंचमी के खास मौके पर लगने वाले सांपों के मेले में लोग उनके साथ खेलते हैं। जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।
कोबरा के साथ खेलते हैं लोग
सबसे जहरीला सांप माना जाने वाला कोबरा यहां आपको हर घर में मिल जाएगा। ये लोग कोबरा जैसे जहरीले सांपों को पकड़ कर घरों में रखते हैं और उनके साथ करतब दिखाते हैं। लोगों की मानें तो उनकी पूरी जिंदगी इन्हीं विषैले सापों के बीच गुजरी है।
बच्चे गले में लपेट लेते हैं सांप
सिंधिया घाट गांव में नागपंचमी वाले दिन सभी ग्रामीण पास की नदी में सांप पकड़ने जाते हैं। इस गांव में रहने वाला प्रत्येक शख्स सांप पकडऩा जानता है। अब वह चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग। ग्रामीणों के मुताबिक इस गांव में सांपों का ये मेला पिछले 300 वर्षों से लग रहा है और हर साल इसी तरह लोग उनके साथ करतब दिखाते हैं। साथ ही यहां के बच्चे खिलौनों की जगह सांप से खेला करते हैं।
नाग देवता की पूजा
इस गांव के सभी घरों में नाग देवता की पूजा की जाती है। पूजा के बाद घर के सभी सदस्य परंपरा के अनुरूप दही के साथ नीम का पत्ता ग्रहण करते हैं। इस अवसर पर विषहर देवता को दूध एवं धान की लावा तथा झाप चढ़ाने की भी परंपरा है। सांप पकडऩे के बाद लोग उसकी पूजा कर अपनी मनोकामना पूरी होने की मन्नत मांगते हैं।
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