टेक्नोलॉजी अब देश में ग्रासरूट तक पहुंच चुकी है. गाहे-बगाहे अपनी बात कहने के लिए लोग इसका सहारा भी लेने लगे हैं. हालिया वाकया उड़ीसा के सरपंच जयराम खोरा का है. जयराम ने यू-ट्यूब पर अपलोड एक वीडियो बयान में अपने ऊपर हो रहे जुल्म की बात कही है. आइए हम आपको बताते हैं कि जयराम ने कैसे बयां की है पुलिस एक्सप्लॉयटेशन की हकीकत...
यू-ट्यूब बना जरिया
‘अगर मैं किसी एनकाउंटर में मारा जाता हूं या गायब होता हूं, अगर मेरी फैमिली या बच्चों पर अटैक होता, तो इसके लिए मलकानगिरी (उड़ीसा) के एसपी अनिरुद्ध कुमार सिंह जिम्मेदार होंगे.’ यह कहना है उड़ीसा के मलकानगिरी स्थित बदरपुर पंचायत के सरपंच जयराम खोरा का. खोरा इस समय घर छोडक़र भागे हुए हैं.
दरअसल छत्तीसगढ़ पुलिस उन्हें एक नक्सल रिलेटेड केस में गवाह बनाना चाहती है. इससे परेशान खोरा ने अपने बयान का एक वीडियो बनाया और उसे यू-ट्यूब पर अपलोड कर दिया है. खोरा चाहते हैं कि ऐसा ना हो कि कई दूसरे लोगों की तरह वह भी गुमनाम मौत मारे जाएं.
मैं माओवादी नहीं
अपनी जेनरेशन के पहले एजुकेटेड ट्राइबल खोरा ने इस वीडियो में अपनी पूरी कहानी बयां की है. उन्होंने बताया कि मलकानगिरी एसपी मुझे एक नक्सल सस्पेक्ट बताते हैं. वह मुझे दो बार जान से मारने की धमकी दे चुके हैं. मैं लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया एक सरपंच हूं. मैं अपने पंचायत की प्रॉब्लम्स लेकर ब्लॉक ऑफिसर्स के पास जाता हूं. डीएम (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) के ऑफिस में जाता हूं. जयराम ने वीडियो में सवाल उठाया है कि क्या नक्सली इन ऑफिसेज में जाते हैं?
बयान के लिए जबर्दस्ती
पुलिस का कहना है कि खोरा इस मामले में एक अहम गवाह है. जबकि खोरा का कहना है कि उसे गवाही देने पर बाध्य किया गया था. वह 9 सितंबर को लाला के साथ गया ही नहीं था. खोरा का कहना है कि जिस बयान की बात पुलिस कर रही है वह बयान उससे जबर्दस्ती लिया गया था. उसने अपने ऊपर हुए जुल्म की पूरी बात वीडियो में बताई है. खोरा ने बताया कि दंतेवाड़ा पुलिस ने उसके पैरों को बांध दिया और पैरों के बीच स्टिक डालकर उसे उलटा लटकाकर पीटा था.
कोरापत में रह रहा
पुलिस ने खोरा को 14 सितंबर को उठाया और उसे 21 सितंबर को छोड़ दिया. इस बीच खोरा की फैमिली ने ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स की हेल्प से पुलिस और दूसरी हायर अथॉरिटीज के सामने खोरा को छुड़ाने की गुहार लगाई. खोरा 21 सितंबर के बाद घर वापस नहीं गया है. वह इन दिनों कोरापत (उड़ीसा) में एक लोकल जर्नलिस्ट और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट के साथ रह रहा है.
प्रोटेक्शन मनी की बात
वहीं खोरा के वीडियो में एक इंट्रेस्टिंग बात यह सामने आई है कि एस्सार माओइस्ट्स को प्रोटेक्शन मनी देता है. खोरा वीडियो में बताता है कि 7 सितंबर को मैं एस्सार के डिप्टी मैनेजर श्रीनिवासन के साथ एक गांव गया. वह चाहते थे कि मैं उन्हें नजदीक के गांव में लेकर जाऊं. मैं उन्हें ले जाने को तैयार हो गया. वहां उन्होंने कुछ लोगों से तमिल में बात की, जो मैं नहीं समझ सका. बाद में मुझे पता चला कि श्रीनिवासन ने माओइस्ट्स को 10 लाख रुपए का ऑफर दिया था. मगर उन लोगों ने यह ऑफर ठुकरा दिया और उस इलाके में एस्सार प्लांट बंद करने के लिए कहा था.
क्या कहती है पुलिस
इस मामले में मलकानगिरी के एसपी अनिरुद्ध कुमार सिंह ने खोरा के आरोपों को सिरे से नकार दिया. वह कहते हैं कि मैंने उसे नहीं डराया. मैं उसका केस सेटल करवाना चाहता था. मैंने उसे गिरफ्तार तक नहीं किया. छत्तीसगढ़ पुलिस उसकी तलाश कर रही थी, तो हमने उसे छत्तीसगढ़ पुलिस के हवाले कर दिया. एसपी अनिरुद्ध को इस बात की जानकारी नहीं है कि खोरा ने कोई वीडियो बयान दिया है और इसमें उन्हें जिम्मेदार ठहराया है. वहीं दांतेवाड़ा के एसपी अंकित गर्ग ने भी खोरा को टॉर्चर किए जाने से इंकार किया. गर्ग ने कहा कि हमने उससे पूछताछ की और खोरा ने मजिस्ट्रेट के सामने सेक्शन 164 के तहत बयान दिया था.
Torture किया गया
खोरा ने वीडियो में आगे बताया है कि हालिया एस्सार पेऑफ केस में अनिरुद्ध सिंह ने मुझे छत्तीसगढ़ पुलिस के हवाले कर दिया था. वहां पर मुझे आठ दिनों तक टॉर्चर किया गया. मुझ पर यह बयान देने के लिए जोर डाला गया कि मैं एस्सार कांट्रैक्टर बीके लाला के साथ 9 सितंबर को माओवादियों को 15 लाख रुपए प्रोटेक्शन मनी के तौर पर देने गया था. दरअसल पुलिस ने इस मामले में कथित माओइस्ट ऑपरेटिव लिंगा कोडोपी को अरेस्ट किया है.
कई बेकुसूर हो चुके हैं शिकार
इस इलाके में अब तक कई लोग या तो पुलिस या माओवादियों का शिकार हो चुके हैं. खोरा कोडर है कि कहीं वह भी पुलिस या माओवादियों का शिकार ना बन जाए. जहां पुलिस जोर-जबर्दस्ती से लोगों पर बयान दिलवाती है वहीं माओवादी लोकल लीडर्स को अपनी ओर मिलाने के लिए धमकियां देते हैं. तीन साल पहले मलकानगिरी एरिया के चिंप्तापाली के सरपंस इंद्र माधी गायब हो गए थे. बताया जाता है कि गायब होने से पहले उन्हें पुलिस ने उठाया था. उनका अब तक कुछ पता नहीं चल सका है. थिटालबेडा ग्राम पंचायत के हरि बंधु हंसल भी घर छोडक़र भागे हुए हैं. उनपर 7 क्रिमिनल केसेज लगाए गए थे और 2010 में 11 महीनों के लिए जेल में रखा गया था. अप्रैल 2011 में वह जेल से बाहर आए तब से भागे हुए हैं.
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